Vladimir Putin: एक शख्स, जो करीब 25 साल से रूस की सत्ता पर काबिज है। वो है, व्लादिमीर पुतिन। वे सत्ता में आने के पहले से सुर्खियों में रहे हैं। सात अक्टूबर, 1952 को जन्मे पुतिन का बचपन लेनिनग्राद के एक तंग सामुदायिक अपार्टमेंट में गुजरा। वे अपने बचपन को बेहद “साधारण” बताते हैं।
जंग खत्म होने के बाद उनके पिता सेना से निकल कर एक फैक्टरी में फोरमैन बन गए। वे मां मारिया को सौम्य और विनम्र महिला के रूप में याद करते हैं। मां परिवार को सादा खाना खिलाती थीं और रविवार को बेकिंग करके आमदनी बढ़ाती थीं। पुतिन ने बताया कि स्कूली दिनों में वे आम छात्रों के मुकाबले शरारती थे। फिर भी एक शिक्षक को उनमें ऊर्जा और अच्छे चरित्र की भारी संभावना दिखती थी।
उसी जुनून में उन्होंने कानून की पढ़ाई की। उनका सपना सोवियत संघ की मुख्य खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल होना था। उन्होंने पता किया कि केजीबी में कैसे शामिल हुआ जाए। उन्हें बताया गया कि इसके लिए पहले डिग्री हासिल करना होगा। उन्होंने ऐसा ही किया। 1985 तक वे पूर्वी जर्मनी में काम करते रहे। फिर वे लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए।
पुतिन ने 1983 में शादी की। उनकी दो बेटियां हैं। सियासी जगत में उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग में विदेशी आर्थिक संबंध संभालने के साथ शुरुआत की। उनके सहकर्मी बताते हैं कि इसी दौरान वे कर्ज के मामलों को लेकर भारत के संपर्क में आए और भारतीय पकवानों के मुरीद बन गए।
इसके बाद वे मास्को आ गए। यहां तेजी से उनकी तरक्की हुई। राजनीतिक अराजकता, चेचन्या में लड़ाई और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे रूस में, पुतिन पहले संघीय सुरक्षा सेवा के प्रमुख बने, फिर प्रधानमंत्री और फिर 31 दिसंबर, 1999 को कार्यवाहक राष्ट्रपति।
पुतिन ने 2000 और 2004 के चुनाव जीते। उनका वादा था- सुव्यवस्था, पेंशन की मजबूत व्यवस्था और औद्योगिक विकास। कार्यकाल की सीमा होने की वजह से उन्हें 2008 में पद छोड़ना पड़ा। तब उन्होंने अपना पद बदला और देश के प्रधानमंत्री बन गए।
पुतिन फिर से 2012 और 2018 में राष्ट्रपति बने। आंकड़ों के मुताबिक 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद उनका जन समर्थन जोरदार तरीके से बढ़ा। 2020 में, संवैधानिक बदलावों को मंजूरी मिली, जिससे उन्हें छह साल के कार्यकालों के लिए दो बार और चुनाव लड़ने का मौका मिल गया।
फिर आया फरवरी 2022, जब पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ “खास सैनिक अभियान” का ऐलान किया। रूस के आंतरिक सर्वेक्षण का दावा है कि पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों के बावजूद इस कदम को भारी समर्थन मिला। बड़ी सरकारी परियोजनाओं, सामाजिक समर्थन और दीर्घकालिक राष्ट्रीय योजनाओं के जरिये पुतिन रूस को आगे ले जाने के लिए लगातार कई दशकों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
इन सबके बीच भारत से उनकी दोस्ती जगजाहिर है। उन्होंने एक बार तर्क दिया था कि रूसी नेताओं ने भारत की अहमियत को कम करके आंका है। बतौर राष्ट्रपति उनकी पहली यात्रा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया। उसकी बदौलत अब दोनों पक्ष अपने रिश्तों को और मजबूत करने में लगे हैं।