Shubhanshu Shukla: बच्चे की तरह चलना, खाना-पीना सीख रहा हूं- अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 

Shubhanshu Shukla: शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर 14 दिन के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे।

एक्सिओम-4 वाणिज्यिक मिशन के तहत फाल्कन-9 रॉकेट पर सवार हुए इन अंतरिक्ष यात्रियों के बृहस्पतिवार शाम साढ़े चार बजे आईएसएस पहुंचने की संभावना है।

शुक्ला ने कहा, ‘‘वाह! अद्भुत सफ़र था! सच कहूं तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं! 30 दिन तक पृथक वास करने के बाद ऐसा लग रहा था कि मैं बस जाना चाहता हूं। उत्साह और सब कुछ बहुत दूर था। बस यही लग रहा था कि चलो बस चलते हैं।’’

अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेसएक्स के नए ड्रैगन अंतरिक्ष यान को ‘ग्रेस’ नाम दिया है। उन्होंने हंस जैसे दिखने वाले एक खिलौने ‘जॉय’ के बारे में भी बताया जो शून्य गुरुत्वाकर्षण संकेतक है और एक्सिओम-4 मिशन पर चालक दल का पांचवां सदस्य है। प्रक्षेपण के दौरान गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्हें अपनी सीट पर पीछे धकेला जा रहा हो।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो यह कुछ खास था। आप सीट पर पीछे की ओर धकेले जा रहे थे। यह एक अद्भुत सफर था और फिर अचानक कुछ भी महसूस नहीं हुआ। सब कुछ शांत था और आप बस तैर रहे थे। आप बेल्ट खोलकर निर्वात में तैर रहे थे।’’ भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि निर्वात में जाने के बाद पहले कुछ क्षण तो अच्छे नहीं लगे लेकिन जल्द ही यह एक ‘‘अद्भुत अहसास’’ बन गया।

शुक्ला ने कहा, ‘‘मैं इसकी अच्छी तरह से आदत डाल रहा हूं। मैं नजारों आनंद ले रहा हूं, अनुभव ले रहा हूं और एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं। यह सीख रहा हूं कि कैसे चहलकदमी करूं, अपने आप पर नियंत्रण रखना सीख रहा हूं, खाना-पीना सीख रहा हूं। यह सब बहुत रोमांचक है।’’

‘‘यह एक नया माहौल, एक नयी चुनौती है और मैं यहां अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस अनुभव का आनंद उठा रहा हूं। गलतियां करना अच्छा है, लेकिन किसी और को भी गलतियां करते देखना और भी अच्छा है इसलिए यह एक मजेदार वक्त है!’’

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा कि “अंतरिक्ष से नमस्कार, मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर रोमांचित हूं, जैसा कि पेगी ने कहा, एक अनुभवी और तीन नए अंतरिक्ष यात्री हैं। वाह! अद्भुत सफ़र था! सच कहूं तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था, तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं! 30 दिन तक पृथक वास करने के बाद ऐसा लग रहा था कि मैं बस जाना चाहता हूं। उत्साह और सब कुछ बहुत दूर था। बस यही लग रहा था कि चलो बस चलते हैं। लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो यह कुछ खास था।

आप सीट पर पीछे की ओर धकेले जा रहे थे। यह एक अद्भुत सफर था और फिर अचानक कुछ भी महसूस नहीं हुआ। सब कुछ शांत था और आप बस तैर रहे थे। आप बेल्ट खोलकर शून्य की खामोशी में तैर रहे थे। ये एक अद्भुत एहसास था, मैं इस अवसर पर उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इसका हिस्सा रहे हैं, मैं समझता हूं कि ये व्यक्तिगत नहीं है। ये आप में से हर एक की सामूहिक उपलब्धि है जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं। इसे संभव बनाने के लिए मैं वास्तव में आप सभी का धन्यवाद देना चाहता हूं।

अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू ने कहा कि “सभी खुशनुमा पल एक छोटे से हंस में समाहित और संप्रेषित होते हैं। ये आलीशान खिलौना वास्तव में चालक दल के एक और बेटे सिड को श्रद्धांजलि है। क्योंकि वो शूक्स का बेटा है और उसे जानवरों से प्यार है। इसलिए जब भी मैं जॉय को देखता हूं, तो मैं उसके कारण भविष्य के बारे में भी सोचता हूं, ग्रेस के बारे में कुछ शब्द।

मुझे लगता है कि उसके साथ हमारा बहुत गहरा संबंध है। वो वास्तव में हमारी बहुत अच्छी तरह से देखभाल कर रही है। और यह उसका अंतरिक्ष में पहला अनुभव है और हम तीनों के लिए भी यही बात लागू होती है। इसलिए मुझे लगता है कि ये एक गहरा संबंध है। हमारे पैच की तरह, पृथ्वी भी पैच के केंद्र में है।”

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वो सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थितियों में ‘‘एक बच्चे की तरह’’ रहना सीख रहे हैं और जब ड्रैगन अंतरिक्ष यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने की अपनी यात्रा में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था तो निर्वात में तैरना एक अद्भुत अनुभव था। अंतरिक्ष यान से एक वीडियो लिंक के जरिए अपना अनुभव साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के प्रक्षेपण से पहले 30 दिनों तक पृथक वास के दौरान बाहरी दुनिया से पूरी तरह दूर रहने के बाद ‘‘मेरे दिमाग में केवल यही विचार आया था कि हमें बस जाने दिया जाए।’’

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