Rahul Gandhi: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि मौजूदा समय में भारत में “लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमला” हो रहा है और ये ऐसा बड़ा खतरा है जिससे देश को पार पाना होगा। कोलंबिया दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने कहा कि देश के लिए ये जरूरी है कि अलग-अलग परंपराओं को पनपने दिया जाए, क्योंकि “हम चीन जैसा नहीं कर सकते जहां लोगों का दमन किया जाता है और एक अधिनायकवादी व्यवस्था चलाई जाती है”।
राहुल गांधी ने कोलंबिया के मेडेलिन स्थित ईआईए विश्वविद्यालय में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में कहा कि चीन की तुलना में भारत की व्यवस्था कहीं ज्यादा जटिल है और भारत की शक्तियां पड़ोसी देश से बहुत अलग हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एक बहुत पुरानी आध्यात्मिक परंपरा और एक विचार प्रणाली है, जिसमें गहरे और उपयोगी विचार शामिल हैं जो आज की दुनिया के लिए लाभकारी हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि परंपरा और सोचने के तरीके के मामले में भारत दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, “मैं भारत को लेकर बहुत आशावादी हूं, लेकिन साथ ही, भारतीय ढांचे में कुछ कमियां भी हैं, कुछ जोखिम भी हैं जिनसे भारत को पार पाना होगा। सबसे बड़ा जोखिम भारत में लोकतंत्र पर हो रहा हमला है।”
राहुल गांधी ने कहा, “भारत में कई धर्म, परंपराएं और भाषाएं हैं। भारत वास्तव में अपने सभी लोगों के बीच एक संवाद वाला देश है। अलग-अलग विचारों, धर्मों और परंपराओं के लिए जगह होनी जरूरी है। उस जगह को बनाने का सबसे अच्छा तरीका लोकतांत्रिक व्यवस्था है।”
उन्होंने आरोप लगाया, “वर्तमान में, भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमला हो रहा है, इसलिए ये एक जोखिम है। दूसरा बड़ा जोखिम है अलग-अलग विचारधाराएं, अलग-अलग धर्म, अलग-अलग भाषाएं। इन अलग-अलग परंपराओं को फलने-फूलने देना, उन्हें खुद को व्यक्त करने के लिए जगह देना भारत जैसे देश के लिए बहुत अहम है। हम वो नहीं कर सकते जो चीन करता है, यानी लोगों का दमन करना और एक अधिनायकवादी व्यवस्था चलाना।”
कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया, “हमारा (राष्ट्रीय) स्वरूप इसे स्वीकार नहीं करेगा।” दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के चार देशों का दौरा कर रहे राहुल गांधी ने कोलंबियाई राष्ट्रपति सीनेट लिडियो ग्रासिया से भी मुलाकात की। कांग्रेस नेता ने दुनिया में ध्रुवीकरण की चुनौती से जुड़े सवाल पर कहा, “उदाहरण के लिए, अधिकांश लोग, जो ट्रंप के साथ अमेरिका में ध्रुवीकरण पैदा कर रहे हैं, वे लोग हैं जिन्होंने विनिर्माण के कारण अपनी नौकरियां खो दीं।”
उनका कहना था, “चीन ने दुनिया को दिखाया है कि आप गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में उत्पादन का प्रबंधन कैसे कर सकते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते। हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था हैं। चुनौती ये है कि क्या हम चीन की तरह विनिर्माण विकसित कर सकते हैं लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंदर रह कर।”
राहुल गांधी ने मौजूदा दुनिया में विनिर्माण क्षेत्र में चीन के दखल और अमेरिका आर्थिक और सैन्य वर्चस्व को मिल रही चुनौतियों का जिक्र किया और इस बात पर जोर दिया कि भारत को लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हुए उत्पादन में चीन के साथ मुकाबला करना होगा।
उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने पिछले कुछ दशकों में बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रगति की है और सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हुआ, लेकिन अब भी व्यापक स्तर पर रोजगार के मौके नहीं बनने का मुख्य कारण विनिर्माण में प्रगति का धीमा होना है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘बहुत से लोग कहते हैं कि एआई चीजों में क्रांति ला देगा, लेकिन ताकत उन लोगों के हाथ में होगी जो डेटा को नियंत्रित करते हैं।”
उनके मुताबिक, ‘दुनिया के हमारे हिस्से में’ अमेरिका गूगल और व्हाट्सएप जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों के माध्यम से डेटा को नियंत्रित करता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये भी कहा कि वे नहीं मानते कि एआई से केवल नौकरियां खत्म होंगी, क्योंकि इससे नई नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन उसके लिए तैयार रहना होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि कंप्यूटर के आने के समय भी इसी तरह की आशंका जताई गई थी, लेकिन फिर नयी नौकरियां पैदा हुईं। राहुल गांधी ने ये भी कहा कि दुनिया बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है, लेकिन जिन देशों ने सही दिशा में ऊर्जा लगाई है, उनके लिए मौके भी पैदा होंगे।
कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि भारत खुद को दुनिया के नेतृत्वकर्ता के रूप में नहीं देखता, बल्कि एक बड़ा देश होने के नाते साझेदारी में भरोसा करता है। उनका कहना था, “हम इतने अहंकारी नहीं हैं कि ये मानें कि हमें दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए। ये विचार कि भारत को दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए, भारत खुद को इस तरह नहीं देखता है, शायद चीन अपने बारे में इस तरह सोचता है।”
उन्होंने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर भी निशाना साधा। राहुल गांधी ने दावा किया, “भारत सरकार दो नीतियां लेकर आई। पहली-हमारी मुद्रा का विमुद्रीकरण (नोटबंदी), जिसने छोटे और मध्यम व्यवसायों को नष्ट कर दिया और एकाधिकार वाली व्यवस्था को हमारी अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करने का मौका दे दिया। दूसरी नीति जीएसटी थी, जिसे फिर से मध्यम और छोटे व्यवसायों को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया था।”
उन्होंने कहा, ‘‘छोटे व्यवसायों का सहयोग करना ही उद्यमशीलता के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है और यही हमारे और सत्ता में बैठे लोगों के बीच का अंतर है जो मानते हैं कि कुछ एकाधिकार वाले समूहों को अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना चाहिए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी मोदी सरकार की बहुत बड़ी नाकामी थी। राहुल गांधी ने कहा, “भारत जैसे देश में केवल स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा का निजीकरण करने से काम नहीं चलेगा। हमने इसे आजमाया है, लेकिन ये काम नहीं आया। कम से कम मैं और मेरी पार्टी इन क्षेत्रों में ठोस सरकारी भागीदारी में भरोसा करते हैं। हमारे शीर्ष विश्वविद्यालय सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वविद्यालय हैं।”
राहुल गांधी ने कहा कि “इस समय भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमला हो रहा है, इसलिए यह एक जोखिम है। दूसरा बड़ा जोखिम अलग-अलग अवधारणाएं हैं, लगभग 16-17 अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग धर्म… इसलिए, इन विभिन्न परंपराओं को पनपने देना और उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की जगह देना भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है।
हम चीन जैसा नहीं कर सकते, यानी लोगों का दमन करना और एक तानाशाही व्यवस्था चलाना। भारत की व्यवस्था चीन की तुलना में कहीं ज्यादा जटिल है और उसकी ताकतें पड़ोसी देश से बहुत अलग हैं। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत पुरानी आध्यात्मिक परंपरा और गहन विचारों वाली प्रणाली है, जो आज की दुनिया के लिए उपयोगी है।उन्होंने कहा कि परंपरा और सोच के मामले में देश बहुत कुछ दे सकता है।”