PM Modi: ओमान ने हस्ताक्षर किए गए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत खाड़ी देश में काम करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए नियमों में ढील देने की पेशकश की है, जिससे वे अपने कुल कर्मचारियों का 50 प्रतिशत तक अपने भारत ऑफिस से नियुक्त कर सकेंगी। ये प्रावधान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) का हिस्सा है, जिस पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के वाणिज्य, उद्योग और निवेश संवर्धन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने मस्कट में हस्ताक्षर किए।
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। ये डील 2026 की पहली तिमाही तक लागू होने की संभावना है, वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि सीईपीए की एक बड़ी खासियत भारतीय पेशेवरों के लिए बेहतर मौका है।
इसमें कहा गया है, “पहली बार, ओमान ने मोड 4 (पेशेवरों की आवाजाही) के तहत कई तरह की पेशकश दी हैं, जिसमें इंट्रा-कॉर्पोरेट ट्रांसफर होने वालों के लिए कोटा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना शामिल है। साथ ही संविदा पर काम करने वाले सेवा आपूर्तिकर्ता के लिए रहने की इजाजत वाली अवधि को मौजूदा 90 दिनों से बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है और इसे दो साल और बढ़ाया जा सकता है।”
समझौते के सर्विस सेगमेंट में, ओमान ने 127 सब-सेक्टर में नियमों को आसान बनाने की पेशकश की है। इस खाड़ी देश ने कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं, बिजनेस और पेशेवर सेवाओं, ऑडियो-विजुअल, आरएंडडी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं समेत कई सेक्टर में पेशकश दी हैं।
कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं में कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और आईटी सिस्टम का विकास, रखरखाव और प्रबंधन शामिल है। इसी तरह पेशेवर सेवाओं में अकाउंटिंग, टैक्सेशन, आर्किटेक्चरल, इंजीनियरिंग, अर्बन प्लानिंग, मेडिकल, डेंटल, वेटरनरी, नर्सिंग और मिडवाइफरी सर्विसेज शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “इन पेशकशों से भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए नए मौके खुलने, हाई-वैल्यू वाली नौकरियां पैदा होने और दोनों देशों के बीच बढ़ते वाणिज्यिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।”
ओमान का वैश्विक सेवाओं का निर्यात 12.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें भारत का हिस्सा मात्र 5.31 प्रतिशत है। डेटा से पता चलता है कि ओमान में भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए काफी क्षमता है। एक अधिकारी ने कहा कि समझौते में ये तय हुआ कि अगर ओमान अपनी ओमानाइजेशन नीति के संबंध में किसी और सार्क देश को ज्यादा उदार शर्तें देता है, तो इसी तरह की रियायतें भारत को भी देनी होंगी।
ओमानाइजेशन नीति के तहत, ये खाड़ी देश निजी सेक्टर में अपने नागरिकों को ज्यादा रोजगार देना चाहता है। इस नीति के तहत कंपनियों को ओमानी नागरिकों को नौकरी देने के लिए खास कोटा पूरा करना होता है। ये कोटा सेक्टर के हिसाब से अलग-अलग होता है और समय-समय पर इनमें बदलाव किया जाता है।
साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के सदस्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं। इसमें कहा गया है कि सीईपीए, भारतीय कंपनियों को वाणिज्यिक मौजूदगी के जरिए ओमान के बड़े सेवा सेक्टर में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सुविधा भी देता है।
इससे भारत के सेवा उद्योग को उस क्षेत्र में अपना काम बढ़ाने में मदद मिलेगी, इसके अलावा दोनों पक्ष ओमान की अंशदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के लागू होने के बाद सामाजिक सुरक्षा समझौते पर भविष्य में चर्चा करने पर सहमत हुए हैं।
द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौता कुछ फायदे देकर विदेश में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों और कुशल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हैं। 2024 में, भारत का सेवा निर्यात 665 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि आयात 198 मिलियन अमरीकी डॉलर था।