Nepal: नेपाल में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ से तबाही, 52 की मौत

Nepal: नेपाल में कुदरत का कहर देखने को मिल रहा है. कई दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़, भूस्खलन, बिजली गिरने और सड़क हादसों में  कम से कम 52 लोगों की मौत हो गई. वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं जबकि कई लोग लापता हैं. प्रशासन की ओर से राहत बचाव अभियान चलाया गया है. सशस्त्र पुलिस बल ने रविवार शाम को बताया कि बारिश से हुई इस आपदा में कम से कम सात लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, जबकि अब तक 29 लोग घायल हो चुके हैं. नेपाल में शनिवार सुबह से ही बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमीयुक्त मानसूनी हवा के प्रभाव से भारी बारिश हुई.

इसके कारण पूरे हिमालयी राष्ट्र में बड़े पैमाने पर बारिश हुई. सात प्रांतों में से दो दिनों की भारी बारिश से भारत की सीमा से लगे कोशी प्रांत में सबसे अधिक नुकसान हुआ. सशस्त्र पुलिस बल मुख्यालय के अनुसार इलाम में ही भूस्खलन और बाढ़ से 37 लोगों की मौत हुई जबकि प्रांत के अन्य जिलों में 12 और मौतें हुई. कोशी में एक व्यक्ति लापता है और कम से कम 17 लोग घायल हुए हैं.

नेपाल के दक्षिणी मैदानी इलाके मधेश प्रांत में रौतहट में बिजली गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई तथा एक व्यक्ति घायल हो गया जबकि बारा में एक लापता व्यक्ति की तलाश जारी है. बागमती नदी में बाढ़ के कारण आवासीय क्षेत्रों में बाढ़ आ गई. हमने निवासियों को हाई अलर्ट पर रहने की सलाह दी है और पहले दिन से ही सुरक्षा एजेंसियों को तैनात कर दिया है. हम विभिन्न संचार माध्यमों से लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का अनुरोध कर रहे हैं.

भारी बारिश और कई इलाकों में भूस्खलन के खतरे के बीच बचाव और राहत अभियान जारी है. अन्य प्रांतों में बागमती प्रांत में चार लोग घायल हुए और चार लापता हुए जबकि सुदूरपश्चिम प्रांत में बारिश से जुड़ी घटनाओं में आठ लोग घायल हुए. दो दिनों की तबाही के बाद हिमालयी राष्ट्र में मौसम में सुधार देखने को मिल रहा है क्योंकि हाल ही में बारिश का कारण बनने वाला निम्न दबाव तंत्र देश से बाहर चला गया. जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान विभाग (डीएचएम) ने घोषणा की है. विभाग ने चेतावनी दी, ‘हालांकि मानसून कमजोर पड़ गया है, लेकिन पूरी तरह से वापस नहीं गया है.’

बंगाल की खाड़ी के ऊपर विकसित हुई इस प्रणाली के कारण 3 अक्टूबर की शाम से 5 अक्टूबर की सुबह तक मधेश, बागमती और कोशी प्रांतों के जिलों में भारी वर्षा हुई. डीएचएम के अनुसार रौतहट के महेशपुर में सबसे अधिक 358 मिमी बारिश दर्ज की गई. लगातार बारिश के कारण बागमती, त्रिशूली, पूर्वी राप्ती, लालबकैया और कमला जैसी नदियों का जलस्तर चेतावनी सीमा से ऊपर पहुँच गया है. अब जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है.

नवीनतम आधिकारिक मापों के अनुसार 5 अक्टूबर तक कोशी बैराज का जलस्तर 523,795 क्यूसेक प्रति सेकंड तक बढ़ गया. शनिवार से लगातार हो रही बारिश ने चिंता जताई है कि प्रवाह और बढ़ सकता है. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जलस्तर और बढ़ता है तो बैराज पर यातायात पूरी तरह से रोक दिया जाएगा, क्योंकि अब छोटे और हल्के वाहनों को चलने की अनुमति है. कोशी बैराज में पानी का प्रवाह 300,000 क्यूसेक प्रति सेकंड से अधिक होने पर इसे खतरनाक माना जाता है. फिलहाल, बैराज के सभी 56 गेट बंद हैं और खतरे के संकेत के तौर पर लाल बत्तियाँ जला दी गई हैं.

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