NATO: नाटो महासचिव मार्क रूट ने सबके सामने ट्रंप को क्यों कहा ‘डैडी’

NATO: नीदरलैंड के हेग में नाटो शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नाटो महासचिव मार्क रूट ने सार्वजनिक रूप से ‘डैडी’ कहकर संबोधित किया, जिससे वहां मौजूद लोग खिलखिलाकर हंस पड़े।

मार्क रूट और फिर डैडी को कभी-कभी उन्हें रोकने के लिए सख्त भाषा का प्रयोग करना पड़ता है। सभी ने कहा ‘ठीक है, आपको ऐसे शब्द का इस्तेमाल करना होगा।’

ये वाक्या तब हुआ जब रूट ने ईरान-इज़राइल गतिरोध के दौरान ट्रंप के सख्त लहजे की तारीफ की। ट्रंप ने जवाब देते हुए मज़ाक में कहा कि रूट ने “ये बहुत प्रेम से कहा है।” बाद में व्हाइट हाउस ने भी इसे लेकर एक लोकप्रिय गीत के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “नहीं, वो मुझे पसंद करते हैं, मुझे लगता है कि वो मुझे पसंद करते हैं। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो मैं आपको बता दूगा। मैं वापस आऊँगा और उसे ज़ोर से मारूँगा। ठीक है। उसने ऐसा किया। उसने बहुत प्यार से किया। डैडी, आप मेरे डैडी हैं।”

“वह एक दूसरे से लड़ने वाले नहीं हैं, वे पहले ही लड़ चुके हैं, वे एक बड़ी लड़ाई लड़ चुके हैं, जैसे स्कूल के मैदान में दो बच्चे, आप जानते हैं, वे बहुत लड़ते हैं। आप उन्हें रोक नहीं सकते। उन्हें लगभग दो, तीन मिनट तक लड़ने दें, फिर उन्हें रोकना आसान हो जाएगा।

मार्क रूट एक दशक से ज्यादा वक्त तक डच प्रधानमंत्री रहे हैं। उन्हें लंबे समय से ट्रंप के साथ अपने कूटनीतिक संतुलन के लिए जाना जाता है। उन्होंने ‘डैडी’ शब्द को लेकर कहा कि ये हल्का-फुल्का मजाक था और “ट्रंप तारीफ के हकदार हैं।”

नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि “मुझे लगता है कि वो एक अच्छे मित्र हैं और जब वह कुछ ऐसा कर रहे हैं जो हमें मजबूर कर रहा है। उदाहरण के लिए, जब अधिक निवेश करने की बात आती है, मेरा मतलब है, क्या आप कभी सोचेंगे कि अगर वह फिर से राष्ट्रपति नहीं चुने जाते तो इस शिखर सम्मेलन का ये नतीजा होता, क्या आपको वाकई लगता है कि सात या आठ देश जिन्होंने कहा था। हाँ, 2030 के दशक में हम दो प्रतिशत तक पहुँच सकते हैं, हमने पिछले चार या पाँच महीनों में दो प्रतिशत तक पहुँचने का फैसला किया है, तो क्या वो कुछ तारीफ के पात्र नहीं हैं? और जब ईरान की बात आती है, तो तथ्य ये है कि उन्होंने ये निर्णायक कार्रवाई की। बहुत लक्षित, ये सुनिश्चित करने के लिए कि ईरान परमाणु क्षमता हासिल करने में सक्षम नहीं होगा, मुझे लगता है कि वह सभी तारीफ के पात्र हैं।”

हालांकि यह बातचीत हल्के-फुल्के अंदाज में हुई लेकिन जल्दी ही ये दुनिया भर में चर्चा का मुद्दा बन गई। इसे लेकर खूब मीम बन रहे हैं और लोग इस पर खूब चटखारे ले रहे हैं।

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