Mauritius: मॉरीशस का जीवंत और उत्सवी माहौल तब जीवंत हो उठता है जब पारंपरिक भोजपुरी लोकगीतों की धुनें हवा में गूंजने लगती हैं। सबसे प्रिय गीतों में से एक चौताल-धमाल, गिरमिटिया समुदाय की कई पीढ़ियों को जोड़ता है। इसके जरिये बुजुर्ग और युवाओं को साथ जुड़ने का मौका मिलता है।
मॉरीशस में होली की तैयारियां वसंत पंचमी के बाद शुरू हो जाती हैं। यहां परिवार प्रार्थना, भोजन और गीत के साथ एकजुट होते हैं और “चौताल-धमाल” परंपराओं को जीवित रखते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से मॉरीशस में उत्सव का उत्साह और बढ़ गया है। भारतीय समुदाय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया है, इस होली पर मॉरीशस अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों का जश्न मना रहा है।
गायक संजय ने बताया कि ‘हमने हमारे पूर्वजों से ये सीखा है। तो हम इसे और आगे लेकर चलते हैं। यहां पर चालीस दिन पहले होली से बसंत पंचमी के दिन यहां पर पूजा होती है, बड़ी पूजा। हम इसे हम इसे भोजपुरी में कहते हैं पंचमी का ताल ठोकी जाती है। इसमें सरस्वती मां की पूजा होती है, तब उसके बाद हम तैयारी करते हैं ये चौताल-धमाल, जो हमने गाया अभी इसे ही चौताल-धमाल कहते हैं।”
”ये गीत में जो बदलाव लाए हैं थोड़ा सा तान- तराना और म्यूजिक का सुर ताल का थोड़ा सा चैंज किया। क्यूं किया लेकिन जैसे आगे का था तो ये थोड़ा फ्लेट होता है थोड़ा सा मुह में रोरिंग होता है। हम लोग ये बदलाव लाए क्योंकि हमारा जवान जो है ना तो थोड़ा मोटिवेट करने के लिए।”
मॉरीशस निवासियों का कहना है कि ”नरेंद्र मोदी जी हमारे लिए एक महान कर्म योगी हैं और हम मॉरीशस वासी उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं। इस स्वतंत्रता दिवस और होली के अवसर पर हम उनको एक हमारे छोटा सा होली अवसर की झलक दिखाएंगे मॉरीशसवासी लोगों की तरफ से। पहले जो हमारे पूर्वज यहां पर आए और छोटे-छोटे झोपड़ियों में रहते थे या कैंप में रहते थे कोठी में शक्कर की कोठी पर तो वो लोग बैठका बनाए थे ताकी बच्चे लोग रामायण जाने और हमारे पर्व त्योहार आदि के बारे में जाने।”