Italy: इटली की राजधानी रोम में एमईडी मेडिटेरेनियन डायलॉग के 10वें संस्करण में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत पश्चिम एशिया में तत्काल संघर्ष विराम लागू करने का समर्थन करता है और दीर्घकालिक रूप से द्वि-राष्ट्र समाधान का पक्षधर है।
उन्होंने आतंकवाद, लोगों को बंधक बनाने और सैन्य अभियानों में नागरिकों की मौत की निंदा भी की। एस. जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में स्थिति बेहद चिंताजनक है, जो कुछ हुआ है और जो अभी हो सकता है, दोनों नजरियों से ये बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “भारत सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत की निंदा करता है। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून की अवहेलना नहीं की जा सकती। लंबे समय के लिए ये जरूरी है कि यूएनआरडब्ल्यूए के प्रावधानों के मुताबिक फलस्तीनी लोगों के भविष्य पर ध्यान दिया जाए।”
एस. जयशंकर ने पश्चिम एशिया में संघर्ष के बढ़ने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत संयम बरतने और संवाद बढ़ाने के लिए इजराइल और ईरान दोनों के साथ शीर्ष स्तर पर लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि इटली की तरह भारत का एक दल भी संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूनिफिल) के हिस्से के रूप में लेबनान में है। पिछले साल से ही भारतीय नौसेना के जहाज अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर में वाणिज्यिक नौवहन की सुरक्षा के लिए तैनात हैं।
दक्षिण लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) में सैन्य योगदान देने वाले 50 देशों से करीब 10,500 शांति सैनिक तैनात हैं। लेबनान में यूएनआईएफआईएल के हिस्से के रूप में भारत के 900 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। एस. जयशंकर ने कहा, “अलग-अलग पक्षों को शामिल करने की हमारी क्षमता को देखते हुए, हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक कोशिश में योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।”
यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के जारी रहने से भूमध्य सागर सहित बाकी क्षेत्रों में गंभीर अस्थिरता पैदा करने वाले नतीजे सामने आ रहे हैं। एस. जयशंकर ने कहा, “ये बात साफ है कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। भारत का हमेशा से ये मानना रहा है कि इस दौर में विवादों का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता। हमें संवाद और कूटनीति की ओर लौटना होगा। ये जितनी जल्दी हो सके, उतना अच्छा है।”
एस. जयशंकर ने भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच मजबूत संबंधों की वकालत करते हुए कहा, “भूमध्यसागरीय देशों के साथ हमारा सालाना कारोबार करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर का है। हमारे प्रवासी समुदाय में 4,60,000 लोग हैं, और उनमें से करीब 40 फीसदी इटली में हैं, उन्होंने कहा कि भूमध्यसागरीय देशों के साथ भारत के राजनैतिक संबंध मजबूत हैं और उनका रक्षा सहयोग बढ़ रहा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि “मध्य पूर्व में स्थिति बेहद चिंताजनक है, जो हुआ है और जो अभी भी हो सकता है, दोनों के लिए। भारत साफ तौर से आतंकवाद और बंधक बनाने की निंदा करता है। हम सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर हो रही लोगों की मौतों की भी निंदा करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन नही किया जा सकता है। हम सभी को तुरंत युद्धविराम का समर्थन करना चाहिए। भारत ने भी सीधे और यूएनआरडब्ल्यूए के माध्यम से राहत प्रदान की है, ये जरूरी है कि फलिस्तीनी लोगों के भविष्य पर ध्यान दिया जाए।”
“पश्चिम एशिया में बढ़ रहे संघर्ष पर भी हम चिंता जाहिर करते हैं। भारत शांति रखने की वकालत करने और बातचीत बढ़ाने के लिए इजराइल और ईरान दोनों के साथ लगातार संपर्क में है।”
“जहां लेबनान का संबंध है, वहां इटली की तरह एक भारतीय दल है, जो यूनिफिल का हिस्सा है। अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर के संबंध में, वाणिज्यिक शिपिंग की सुरक्षा के लिए पिछले साल से भारतीय नौसैनिक जहाजों को तैनात किया गया है। हमारी क्षमता को देखते हुए अलग-अलग पक्षों को शामिल करने के लिए, हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय राजनयिक कोशिश में योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।”
“यूक्रेन-रूस संघर्ष तीन साल से जारी है, इस संघर्ष के जारी रहने से भूमध्य सागर समेत बाकी क्षेत्रों में गंभीर अस्थिरता पैदा करने वाले नतीजे सामने आ रहे हैं। इससे ये साफ होता है कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है।भारत का लगातार ये विचार रहा है कि विवादों में इस दौर का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता है। बातचीत और कूटनीति की वापसी जितनी जल्दी होगी उतना अच्छा होगा।”
“इस साल जून से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से बातचीत की है। इसमें उनका मॉस्को और कीव दौरा भी शामिल है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी लगातार संपर्क में रहते हैं। हमारा मानना है कि जो बीच का रास्ता खोज सकते हैं उन्हें उस जिम्मेदारी के लिए आगे आना होगा।”