Israel: वो एक शनिवार की सुबह थी, तारीख थी सात अक्टूबर, 2023. इजराइल की सामान्य सुबह, 1948 के बाद सबसे दर्दनाक सुबह बन गई, अंधाधुंध गोलीबारी। कान भेदती सायरन की आवाज और हर ओर अफरातफरी… सीमा पार से आए हमास के लड़ाके कहर बरपा रहे थे।
एक कार्यक्रम संगीत का था, देखते ही देखते वहां मुर्दानगी छा गई। सूरज ढलते-ढलते हजार से ज्यादा इजराइली अपनी जान गंवा चुके थे। करीब ढाई सौ बंधक बन चुके थे। इजराइल की मौजूदा पीढ़ी ने इतनी तबाही कभी नहीं देखी थी। गाजा के फिलिस्तीनियों के लिए एक ऐसी जंग शुरू हो चुकी थी, जो आज तक चल रही है।
सऊदी अरब में भारत के पूर्व राजदूत तलमीज अहमद ने बताया कि “जब इजराइल का गठन हुआ, खास कर पश्चिमी देशों के समर्थन से, तो यहूदी समुदाय के फिलिस्तीन ने इसका जोरदार विरोध किया। इजराइल का सैनिक विरोध किया गया। हालांकि विरोध नाकाफी था। किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका।
इजराइल ने 1948 में आजाद देश बनने का ऐलान कर दिया। तब से संघर्ष जारी है। साल 1967 में जोरदार युद्ध हुआ, जब इजराइल ने पश्चिमी तट, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया। इजराइल ने ऐलान किया कि पूर्वी यरुशलम और पश्चिमी यरुशलम अब उसका अभिन्न अंग और राजधानी हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून में इसे मान्यता नहीं है। इजराइल ने पश्चिमी तट और गाजा पर भी कब्जा कर लिया है।”
इजराइल ने हमास के हमले का फौरन जवाब दिया। लड़ाकू विमानों की गर्जना से गाजा थर्रा उठा। टैंक तेज रफ्तार से सीमा की ओर बढ़ने लगे। फिलिस्तीन को भारी नुकसान झेलना पड़ा। गगनचुंबी इमारतें खाक में मिल गईं। अस्पतालों में तिल धरने की भी जगह नहीं बची। लोग जान बचाने के लिए भागना चाहते थे, लेकिन जाएं कहां – समझ नहीं पा रहे थे।
अब दो साल बीत चुके हैं, अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, जब इजराइली सैनिकों ने गाजा पर धावा बोला, तो नाकाबंदी कर दी गई। फिर तो खाना, दवा, ईंधन – हर चीज की किल्लत हो गई। बंधकों का घाव अब तक हरा है, कई लोग आज तक घर नहीं लौटे हैं। इनमें सिर्फ इजराइली ही नहीं, दूसरे देशों के नागरिक भी हैं। गाजा में मौत के तांडव और विनाशलीला का विरोध दुनिया भर में हो रहा है।
राजनीति का रुख बदल रहा है, ज्यादातर देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी है। इस साल संयुक्त राष्ट्र में नेतन्याहू के भाषण ने भारी संख्या में लोगों को लामबंद किया है। ये इजराइल के अलग-थलग पड़ने का साफ संकेत है। दो साल में गाजा खंडहर बन चुका है। अब ट्रंप की शांति योजना का दावा है कि इससे लंबे समय तक अमन बना रहेगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “आज दोपहर पूरे क्षेत्र में अपने दोस्तों और साझेदारों के साथ विस्तार से विचार-विमर्श के बाद, हम शांति के अपने सिद्धांतों को औपचारिक रूप से जारी कर रहे हैं। लोगों को ये सिद्धांत वाकई पसंद आए हैं। अगर हमास इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है, तो सभी बंधकों को रिहा कर दिया जाएगा। इस योजना के तहत अरब और मुस्लिम देशों ने गाजा को सैन्य मुक्त करने और हमास की सैन्य क्षमताओं को कम करने के लिए लिखित रूप से प्रतिबद्धता जताई है। सभी पक्ष चरणबद्ध तरीके से इजरायली सेना की वापसी की समय-सीमा पर सहमत होंगे।”
हालांकि हमास ने ट्रंप की शांति योजना को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है, गाजा में रहने वाले तो अब भी सतर्क हैं। सात अक्टूबर, 2023 का दिन भयावह था। डर है कि इसका असर कई पीढ़ियों को अपनी आगोश में लिए रहेगा। इजराइलियों को हर वक्त नरसंहार और अपहरण का डर रहेगा। ये भी डर होगा कि उन्हें अमन बहाली की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, दूसरी ओर फिलिस्तीनियों के लिए बमबारी से तबाही, भूखमरी, सम्मान, अपनी मातृभूमि से प्रेम और इन सबसे बढ़कर एक सामान्य जिंदगी मायने रखती है।