Indian Army: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दो विरोधियों से पैदा हुए खतरों से निपटना भारत के सामने एक और बड़ी चुनौती है क्योंकि उसे किसी भी तरह के पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, उसके बाद दूसरे नंबर की चुनौती पाकिस्तान का छद्म युद्ध और “भारत को हज़ारों ज़ख्मों से घायल करने” की उसकी रणनीति है। शीर्ष सैन्य अधिकारी ने क्षेत्रीय अस्थिरता और भारत पर इसके प्रभाव और तेजी से बदलते माहौल में उच्च तकनीक वाले उपकरणों के साथ आने वाले वक्त में जंग के हालात से निपटने के लिए जरूरी तैयारियों को तीसरी और चौथी बड़ी चुनौती बताया।
जनरल चौहान ने कहा कि सशस्त्र बलों को ऑपरेशन सिंदूर चलाने की पूरी आज़ादी दी गई थी और इसका मकसद न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेना था, बल्कि सीमा पार आतंकवाद पर एक “लक्ष्मण रेखा” खींचना भी था।
अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में सीडीएस ने ये भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने सेना को मार्गदर्शन प्रदान करने के मामले में ऑपरेशन सिंदूर की योजना बनाने और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लक्ष्य चयन, सैनिकों की तैनाती, तनाव कम करने की रूपरेखा और कूटनीति का उपयोग शामिल था। हालांकि, उनके संबोधन का मुख्य आकर्षण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का विस्तार से वर्णन था।
जनरल अनिल चौहान ने कहा, “राष्ट्रीय संदर्भ में चुनौतियां जो हैं, वो क्षणिक नहीं होती हैं, वो निरंतर बदलते स्वरूप में आती हैं, इसलिए मैं उनमें से कुछ ठोस चुनौतियों के बारे में आपसे बात करना चाहता हूं, जिसका सामना भारत आज कर रहा है और मेरे विचार में भविष्य में भी करता रहेगा। और इसमें जो सबसे पहली चुनौती है, वो सीमा विवाद के बारे में है।
जिसके कारण भारत में, हमें जब से आजादी मिली है, तब से लेकर के काफी सारी जो हैं लड़ाईयां, 47 की, 62, 65 की लड़ाईयां इसका परिणाम है। और इसलिए मैं चीन के साथ जो हमारा सीमा विवाद है, उसको मैं मुख्य मानता हूं और ये जो चीन से साथ असुलझा सीमा विवाद जो चीन के साथ है। उसको मैं सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं। इसके बाद दूसरी बड़ी चुनौैती रहेगी पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा प्रॉक्सी युद्ध, पाकिस्तान की ये रणनीति हमेशा जो ये रही है, जिसे हम अंग्रेजी में कहते हैं ब्लीड इंडिया टू अ थाउजेंट्स कट्स मतलब आस्ते-आस्ते, हल्का-हल्का चोट लगाकर रखना।”
जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ “राष्ट्रीय संदर्भ में चुनौतियां जो हैं, वो क्षणिक नहीं होती हैं, वो निरंतर बदलते स्वरूप में आती हैं, इसलिए मैं उनमें से कुछ ठोस चुनौतियों के बारे में आपसे बात करना चाहता हूं, जिसका सामना भारत आज कर रहा है और मेरे विचार में भविष्य में भी करता रहेगा। और इसमें जो सबसे पहली चुनौती है, वो सीमा विवाद के बारे में है।
जिसके कारण भारत में, हमें जब से आजादी मिली है, तब से लेकर के काफी सारी जो हैं लड़ाईयां, 47 की, 62, 65 की लड़ाईयां इसका परिणाम है। और इसलिए मैं चीन के साथ जो हमारा सीमा विवाद है, उसको मैं मुख्य मानता हूं और ये जो चीन से साथ असुलझा सीमा विवाद जो चीन के साथ है। उसको मैं सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं। इसके बाद दूसरी बड़ी चुनौैती रहेगी पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा प्रॉक्सी युद्ध, पाकिस्तान की ये रणनीति हमेशा जो ये रही है, जिसे हम अंग्रेजी में कहते हैं ब्लीड इंडिया टू अ थाउजेंट्स कट्स मतलब आस्ते-आस्ते, हल्का-हल्का चोट लगाकर रखना।”