India-UK: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच बहुप्रतीक्षित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानि एफटीए अब वास्तविकता बनने के लिए तैयार है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक बातचीत के सफल समापन की घोषणा की थी। अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों से पैदा हुए वैश्विक व्यापार तनाव के बीच विश्लेषक इसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एफटीए ना केवल दोनों देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाएगा, बल्कि यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एफटीए वार्ता को जल्द पूरा करने के लिए बेस का काम भी कर सकता है।
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (एफआईईओ) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि “यह एक ऐसा समझौता है जो दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए काफी संतुलित है। इस तरह का समझौता संभवतः भारत को न केवल यूरोपीय संघ के साथ, बल्कि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ एफटीए पर बातचीत करने में भी मदद करेगा, बल्कि ये बीटीए (द्विपक्षीय व्यापार समझौता) पर बातचीत करने के लिए एक तरह की मार्गदर्शक शक्ति भी हो सकती है, जो हम वर्तमान में अमेरिका के साथ कर रहे हैं।”
हमें आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, वित्तीय सेवाओं और व्यावसायिक सेवाओं में लाभ मिलने की संभावना है और संभवतः उनके नजरिए से भी हम देखेंगे कि कई अमेरिकी सामान, खासकर अगर आप एयरोनॉटिकल प्रोडक्ट्स, बिजली के सामान, ब्यूटी प्रोडक्ट्स के बारे में बात कर रहे हैं, तो हम व्हिस्की, इंजन, कारों पर ड्यूटी में कमी भी देख रहे हैं, साथ ही कम टैरिफ पर किसी तरह की मात्रात्मक सीमा भी हो सकती है। वे कई सेवा क्षेत्र, खासकर वित्तीय सेवाओं में भी लाभ प्राप्त करेंगे।”
व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत मुखोपाध्याय ने कहा कि “दो प्रमुख देशों या प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच किसी समझौते पर पहुंचने में हमेशा कुछ समय लगता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए, यूरोपीय संघ के साथ भी, इसमें कुछ समय लग सकता है। लेकिन अमेरिका के साथ, हां, मुझे उम्मीद है कि कुछ जल्दी या, आप जानते हैं, चरण एक, चरण दो, इस तरह की चीज अगले तीन महीने या चार महीने में हो सकती है।”
एफटीए से भारतीय कंपनियों की यूके के बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी। यह इंडियन प्रोडक्ट को जीरो ड्यूटी पर यूके को एक्सपोर्ट करने की सुविधा देगा – जिसमें खनिज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कपड़ा और सिरेमिक शामिल है। इलेक्ट्रिक सामान, हथियार और गोला-बारूद, ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, खेल के सामान, रत्न, आभूषण, पशु उत्पाद और प्रोसेस्ड फूड भी जीरो ड्यूटी के लिए पात्र होंगे।
वर्तमान में, इन उत्पादों पर ब्रिटेन में 2 से 20 प्रतिशत तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। टैरिफ कंसेशन के अलावा, एफटीए का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार में नॉन टैरिफ बैरियर्स को भी कम करना है। बदले में, एफटीए से भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यूके स्कॉच व्हिस्की और जिन सस्ती हो जाएंगी, क्योंकि वर्तमान में इन पर ब्हिस्की पर 150 और जिन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगता है।
समझौते के मुताबिक, भारत ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा, और समझौते के दसवें साल में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा। हालांकि एफटीए के तहत हीरे, चांदी, स्मार्टफोन और ऑप्टिकल फाइबर जैसे सामानों पर कोई ड्यूटी कंसेशन नहीं मिलेगा। इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक भारत और यूके के बीच व्यापार को दोगुना करना है, जो वर्तमान में 60 बिलियन डॉलर है।