Canada visa: भारत और कनाडा के बीच चल रहा कूटनीतिक तनाव भारतीय छात्रों की टेंशन बढ़ा रहा है, कनाडा में पढ़ने और वहां बसने का सपना देखने वाले छात्र-छात्राएं अब दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं।
महंगाई और बेरोजगारी की वजह से कई लोग अब यूरोपीय देशों में विकल्प तलाश रहे हैं। छात्रा सिमरन ने बताया कि “पहले मेरा भी सपना था कनाडा में अपनी पढ़ाई करना, लेकिन अब डेली बेसिस पर कनाडा सरकार काफी बदलाव कर रही है अपने रूल एंड रेगुलेशन पर। जैसे उनके डेली एक्सपेंस और जीआईसी जो हैं वो डबल हो चुके हैं। अगर फीड को मिलाए तो करीब 17,000 से 18,000 कनाडाई डॉलर है, प्लस जीआईसी जो डबल है। तो काफी नॉन अफोर्ड हो जा रहा है हम जैसे स्टूडेंट के लिए। अगर देखा जाए, जैसे मेरे कुछ फ्रेंड हैं कनाडा में ही। पहुंच चुके है पहले से। लेकिन उन्हें जॉब के लिए वहां काफी ज्यादा फेस करना पड़ रहा है।”
इमिग्रेशन एक्सपर्ट बताते हैं कि भारत और कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक तनाव की वजह से छात्र दूसरे देशों में मूव करने का विचार कर रहे हैं, बावजूद इसके आज भी कनाडा उत्तर भारत के छात्र-छात्राओं की पहली पंसद बना हुआ है।
चंडीगढ़ से इमिग्रेशन एक्सपर्ट कुलदीप सिंह ने बताया कि “कनाडा जो है, वो सदियों से पहली पंसद हमारे नॉर्दन इंडियंस के लिए थी। अब जो ये रिलेशन इन दोनों कंट्री के बीच जो कुछ भी चल रहा है, उसका असर इतना हुआ है कि पेरेंट्स इस वक्त थोड़े हेजीटेट हैं कि जाना तो उनकी पहली पंसद आज भी कनाडा है, लेकिन अगर वो अपने बच्चे को इतने पैसे खर्च के भेजे और कहीं कोई प्रॉब्लम न आ जाए, इन सैड रिलेशनशिप से वहां उनकी सेटलमेंट न हो। तो ये सब चीजें है। वरना कनाडा हमेशा पहली पसंद रही है नॉर्दन इंडियंस के लिए।”
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक रिश्ते काफी समय से ठीक नहीं है, भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। साथ ही कनाडा से अपने उच्चायुक्त और दूसरे अधिकारियों को वापस बुलाने का ऐलान किया है।
भारत ने ओटावा के उन आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के साथ भारतीय राजदूत का नाम जोड़ा गया था, बेशक दोनों देशों के बीच ये विवाद कूटनीतिक है, लेकिन इसका असर भारतीय छात्र-छात्राओं पर पड़ा है।