Axiom-4: आईएसएस में अपने 14 दिनों के दौरान अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला माइक्रोग्रैविटी से जुड़े सात प्रयोग करेंगे। इनसे न केवल भारत को बल्कि अंतरिक्ष में जाने वाले बाकी देशों को भी फायदा होगा।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “दो हफ्ते तक चलने वाले इस मिशन के शुभांशु शुक्ला सबसे अहम सदस्य हैं। वो पायलट हैं और भारत द्वारा डिज़ाइन किए गए माइक्रोग्रैविटी से जुड़े सात प्रयोग करने जा रहे हैं। ये नासा सहित उन एजेंसियों के लिए फायदेमंद होंगे जिन्होंने हमसे बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी।”
शुक्ला का काम मानव शरीर विज्ञान, पोषण और अंतरिक्ष में बीज अंकुरण जैसे क्षेत्रों में माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान में योगदान देगा। इसरो के पूर्व निदेशक एम. अन्नादुरई ने कहा, “…ये भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और दुनिया भर में अंतरिक्ष कार्यक्रम दोनों के लिए फायदेमंद है। भविष्य की खोज (एक्सप्लोरेशन) के लिए ये मील का पत्थर है।”
इसरो के चुने गए प्रयोगों में अंतरिक्ष में बीजों को अंकुरित करना और खाद्य फसल के बीजों में वृद्धि और उपज मापदंडों पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव शामिल हैं।
माइक्रोग्रैविटी रिसर्च के मानव स्वास्थ्य, भौतिक और जीवन विज्ञान, सामग्री विज्ञान, दवा विकास और जैव प्रौद्योगिकी में व्यापक अनुप्रयोग हैं। ये भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अहम मौका है।
इसरो के पूर्व निदेशक माइलस्वामी अन्नादुरई ने कहा कि “मुझे लगता है कि ये वास्तव में एक प्रतीकात्मक मिशन है जो मूल रूप से एक वाणिज्यिक उद्यम है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इसलिए ये भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और दुनिया भर में अंतरिक्ष कार्यक्रम दोनों के लिए फायदेमंद है। भविष्य में खोज (एक्सप्लोरेशन) के लिए ये मील का पत्थर है।”