America: अमेरिका में H-1B वीजा पर ट्रंप सरकार के नए फैसलों से भारतीयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नए नियमों से अस्थायी तौर पर अमेरिका में रह रहे लोगों से पैदा हुए बच्चों को नागरिकता मिलना मुश्किल हो गया है, इससे लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी परंपरा बाधित हो रही है।
अमेरिका में रहने वाले भारतीय कृपा सिंह ने कहा कि “पहले जो भी यहां पर रहता था, वहां पर जो भी जन्म लिया, चाहे किसी भी कंडीशन में हो 99 रूल के अनुसार उसको सिटीजनशिप तुरंत मिल जाती थी और उसका बहुत ही फायदा लोगों को था कि हमारे भाई का छोटा बेटा यहां पर जन्म लिया उसको तुरंत और सिटिजनशिप और पासपोर्ट मिल गया। जब हम उसको हॉस्पीटल में लेकर गए तभी। ”
ट्रंप के कार्यकारी आदेश ने कई परिवारों की मुश्किलों में काफी इजाफा कर दिया है, अमेरिका के दो संघीय अदालतों के जजों ने जन्मजात नागरिकता को फिर से परिभाषित करने वाली नीति को अस्थायी रूप से रोक दिया है।
अमेरिका में रहने वाले भारतीय आदित्य मेहरा ने कहा कि “इसलिए कभी कभी लगता है कि हम ना भारत के रहे और ना यूएस के रहे। ना कभी किसी देश के रहे और यही हम नहीं चाहते हैं कि यही हमारे बच्चों के साथ भी हो। ना उन्होंने जन्म लिया भारत में, हम उनको हर चीज ट्राइ कर रहे हैं उन्हें यहां देेेने का, और ना वो भारत में रहेंगे और ना ही यूएस के रहेंगे तो वो बीच में त्रिशंकु रहेंगे। ये एक पैरेंट को जो मिडिल एज पैरेंट यहां पर आते हैं उनको बड़ा दुखदायी है।”
कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि ट्रंप सरकार का कार्यकारी आदेश नवजात शिशुओं को एच-1बी वीजा देने से रोकता है। इमिग्रेशन लॉ प्रबंध वकील प्रशांत दुबे ने कहा कि “तो सबसे ज्यादा असर उन लोगों को होगा जो यूएस में सिटिजन नहीं है। तो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जो निकला है वो सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर करता है जो यहां पर विजिटर्स वीजा पर हैं। यहां लोक एच1बी पर हैं। एल1बी वीजा पर हैं। ई वीजा पर हैं। अगर आपके पैरेंट्स में से कोई एक यूएस सिटीजन नहीं है तो उस हिसाब से उनके बच्चे यहां पैदा होंगे। मतलब एच1 के जो बच्चे पैदा होंगे उनको सिटिजनशिप नहीं मिलेगा।”
एच-1बी धारकों के लिए अमेरिकी नागरिकता मिलना बहुत बड़ी उम्मीद बनी हुई है। इनमें भारतीय समुदाय दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समुदाय हैं, नए फैसलों के बाद इन लोगों को ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है, कई एच-1बी धारकों की चिंता अमेरिका में पैदा हुए उनके बच्चों के भविष्य को लेकर है।
अमेरिका में रहने वाले भारतीय अनीता सिंह “फायदा बहुत हो जाता है मतलब यहां पर कॉलेज बहुत है। बहुत हाई पेमेंट वाला है जहां पर फीस बहुत हाई है वहां पर उनको स्कॉलरशिप वगैरह मिल जाता है उन लोगों को, उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले. यह बहुत ही उपयोगी है। नागरिक होने का फ़ायदा यह है कि वे किसी भी देश में जा सकते हैं, और उनमें से कई के लिए उन्हें वीज़ा या टिकट लेने की ज़रूरत नहीं होती है। उन्हें किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.”
2023 में भारतीयों को 72 फीसदी H-1B वीजा मिले। ये रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड बैकलॉग का कुल 62 फीसदी यानी 1.1 मिलियन था। 12 फरवरी को जिन लोगों को ग्रीन कार्ड मिला उन्होेंने 2012 में आवेदन किया था।इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नए आवेदकों को कितना लंबा इंतजार करना पड़ेगा।