Punjab: भाखड़ा-व्यास प्रबंधन बोर्ड ने हरियाणा के लिए साढ़े चार हजार क्यूसेक ज्यादा पानी छोड़ने का फैसला किया है, इसपर हरियाणा की बीजेपी और पंजाब की एएपी सरकारों के बीच तलवारें खिंच गई हैं।
दोनों राज्यों के बीच रावी-व्यास नदियों के पानी को लेकर हरियाणा के गठन के समय से विवाद चला आ रहा है, हरियाणा को पंजाब से 1966 में अलग करके राज्य बनाया गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के अनुरोध पर राज्यपाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया, सत्र में राज्य के हिस्से के एक-एक बूंद पानी पर अधिकार रखने का प्रस्ताव पारित किया गया।
पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि “जब हमने ओथ ली थी, 16 मार्च 2022 को, तब हम 21-22% पानी अपने खेतों के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। अब हम 60% से ऊपर चले गए हैं। हमने पाइप से दबा कर खेतों तक पानी पहुंचाया। पुरानी कस्सियां, सूए रजवाए हमने। पुनर्जीवित किए। तो हमारा पानी, पंजाब का पानी हम खुद ही इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे पास फालतू पानी नहीं है।”
भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर बांधों से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश को जल आवंटन का जिम्मा भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड या बीबीएमबी पर है। बोर्ड की समिति ने 23 अप्रैल को साढ़े आठ हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया। इसमें हरियाणा को सात हजार, दिल्ली को एक हजार और राजस्थान को पांच सौ क्यूसेक पानी आवंटित किया गया।
पंजाब ने इस फैसले का विरोध किया, उसका तर्क था कि हरियाणा को पहले ही सालाना आवंटित जल से ज्यादा दिया जा चुका है, राज्य की हिस्सेदारी 4,000 क्यूसेक तक सीमित है।
बीबीएमबी पूर्व सचिव सतीश सिंगला ने कहा कि “सबसे पहले आपको पूरे मामले का आकलन करना होगा। पानी का आवंटन सालाना आधार पर किया जाता है। जब कमी का दौर शुरू होता है तो क्या होता है? कमी का मतलब है कि जब आने वाला प्रवाह कम होता है और बाहर जाने वाला प्रवाह ज्यादा होता है। इसका मतलब है कि आपकी जरूरत नदी के पानी में आने वाले या उपलब्ध पानी से ज्यादा है। कमी का दौर शुरू होता है तो जो कुछ भी स्टोरेज में है, उसके आधार पर शेयर की गणना की जाती है। कमी के दौर में आने वाले मौसम के लिए अनुमान लगाया जाता है। सारी मात्रा का आकलन किया जाता है और उनके परिभाषित शेयरों के मुताबिक बांटा जाता है। इस बारे में सभी भागीदार राज्यों को सूचित किया जाता है, भागीदार राज्य उपलब्ध हिस्से के मुताबिक या आवंटित हिस्से के अनुसार अपनी जरूरत की योजना बनाते हैं।”
पंजाब के इनकार करने पर जल अधिकारों को लेकर लंबे समय से चला आ रहा तनाव फिर भड़क उठा है, हरियाणा का कहना है कि बीबीएमबी के फैसले का पालन करना अनिवार्य है। उसने पंजाब पर जल-बंटवारा समझौते तोड़ने का आरोप लगाया। उधर पंजाब का कहना है कि हरियाणा को मानसून पूर्व ज्यादा पानी दिया जा चुका है, यह फैसला नियमों के तहत पंजाब के साथ अनुबंध का उल्लंघन है।