Haryana: हरियाणा इन दिनों पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में है। इसे देखते हुए करनाल जिले के सोमनाथ जैसे कुछ किसान पराली साफ करने के लिए बेलर मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, सोमनाथ ने बताया कि उन्होंने पराली की सफाई और फिर अगली फसल की बुवाई के लिए कुछ साल पहले बेलर और दूसरी मशीनें खरीदी थीं। इसके लिए उन्हें सरकार से 80 फीसदी सब्सिडी मिली थी।
उन्होंने कहा कि कोई भी किसान खेतों में पराली नहीं जलाना चाहता, लेकिन हालात की वजह से मजबूर होना पड़ता है। हरियाणा में जिला अधिकारी किसानों से अपील कर रहे हैं कि वे पराली जलाने के बजाय बेलर और सुपर-सीडर्स का इस्तेमाल करें। उनका कहना है कि किसानों को मशीनें खरीदने के लिए 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है।
जिन किसानों के पास ये मशीनें हैं वे अपने खेतों में पराली मैनेजमेंट के अलावा इन्हें दूसरों को भी किराए पर देते हैं। इस काम के लिए वे मजदूर भी रखते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन मशीनों के जरिये पराली का स्थायी मैनेजमेंट हो सकता है। साथ ही ये मशीनें किसानों और मजदूरों की आमदनी का एक और जरिया बन सकती हैं।
किसानों का कहना है कि “किसान नहीं पराली जलाता किसान तो मजबूरी में जलाता है। जब किसी खेत में पानी निकल गया उसमें कोई भी नहीं हो सकता काम या फिर ऐसी जगह से जहां पर रस्ता नहीं है इतना मशीन जाने के लिए। किसान तो खुद बोलता है हमारे को कि भई हम नहीं आग लगाते आप इसको उठाओं। कहीं स्थिति ऐसी बन जाती है उठ नहीं पाता।
कृषि विभाग जेई संदीप कुमार ने कहा कि “मैं सभी किसान भाइयों से अपील करना चाहता हूं कि कोई भी किसान भाई अपने खेत में खड़े धानों में आग न लगाए और हमारे आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके काम करें। इसके लिए सरकार किसानों को हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन के रूप में दे रही है।
हमने चार परसेंट सब्सिडी में भी कृषि यंत्र देते हैं, किसानों को और 80 परसेंट सब्सिडी में भी।फसल अवशेष प्रबंधन टीम के तहत 50 प्रतिशत सब्सिडी भी देते हैं और कस्टमर स्थापित करने पर 80 परसेंट देते हैं, तो इनको कृषि यंत्र दिए गए हैं। इनका प्रयोग करके अपनी कमाई तो करते हां और किसानों को भी रोजगार देने का कार्य करता हैं।”