Bollywood: फिल्मेकर सुभाष घई ने नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स में पत्रकार और लेखिका सुवीन सिन्हा की को-रिटन “डेस्टिनी चाइल्ड” टाइटल से अपना मेमॉयर लॉन्च किया। इसे हार्पर कॉलिन्स ने पब्लिश किया है।
इम्तियाज अली ने कहा कि उन्होंने किताब पूरी तरह से नहीं पढ़ी है, लेकिन उन्होंने जितनी पढ़ी है वो फिल्मों और लाइफ के बारे में खूबसूरत बातें सिखाती हैं। ‘जब वी मेट’, ‘रॉकस्टार’, ‘तमाशा’ और ‘लव आज कल’ जैसी फिल्मों के लिए जाने जाने वाले इम्तियाज अली ने कहा कि जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्रि अभिनीत सुभाष घई की 1983 की प्रेम कहानी ‘हीरो’ ने उनकी जिंदगी पर बहुतअसर डाला है।
उन्होंने कहा, “जब मैं वे फिल्में बना रहा था, तो मैं सोच रहा था कि ये अच्छी है, लेकिन जब आने वाली पीढ़ी आपकी फिल्मों की सराहना करती है, तो आप जानते हैं कि ये बाजार नहीं है। तब ये मार्केट था और अब ये रियल एडमिरेशन है। मुझे लगता है कि रियल एडमिरेशन अब शुरू हुई है।”
फिल्म मेकर इम्तियाज अली का कहना है कि उन्होंने हमेशा सुभाष घई को द्रोणाचार्य जैसे अपने गुरु के रूप में माना है, अली ने कहा कि अनुभवी निर्देशक की फिल्मों ने उन्हें जमशेदपुर में बड़े होने के दौरान स्टोरीटेलिंग की कला सिखाने में अहम योगदान निभाया।
इम्तियाज अली ने कहा कि “जब आप अपने आइडल से मिलते हो तो आपकी फीलिंग्स दो तरह की होती हैं- आप नर्वस भी होते हो और साथ में आप खुश भी होते हो। हर दफा जब मैं सुभाष जी से मिलता हूं तो कुछ सीख कर जाता हूं। आज एक सोने पर सुहागा था। गुलजार साहब से भी बात हुई एंड सुभाष घई की डेस्टिनी चाइल्ड ये किताब आज इनॉग्रेट हुई है जो सुभाष जी ने आज लॉन्च की।
उन्होंने कहा कि मैं कहता हूं कि जो लोग भी फिल्म में इंटरेस्टेड हैं या जिंदगी में इंटरेस्टेड है वो ये किताब जरूर पिकअप करें, पढ़ें। मैंने पढ़ी है पूरी तो नहीं पढ़ी, लेकिन आधी तो पढ़ ली है। उसमें बहुत सारी अच्छी चीजें हैं जो आम जिंदगी के बारे में और फिल्मों के बारे में सीख सकते हैं। सुभाष जी से बातें हुईं बहुत-बहुत अच्छी और बहुत नॉटी सी भी बातें हुईं। इश्क के बारे में, हीरोइनों के बारे में, हीरोज के बारे में और स्टार्स के बारे में तो ये सारे 40 मिनट का वक्त बहुत कम था मगर बहुत इंटरेस्टिंग लगा मुझे उनसे बात करके और यहां आकर के एक यंग ऑडियंस और एक डिफरेंट ऑडियंस से मिलना भी बहुत अच्छा लगा। सुभाष जी मेरे लिए द्रोणाचार्य की तरह थे जब मैं एकलव्य की तरह जमशेदपुर में बैठकर के मैं उनकी फिल्म देख करके सिखता रहता था।”