Yamuna: जल संसाधन पर संसद की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि दिल्ली में यमुना नदी का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक साल के बारह महीनों में से नौ लगभग शून्य पर्यावरणीय प्रवाह मौजूद होता है। इसका मतलब है कि इस अवधि के दौरान नदी में बहुत कम या बिल्कुल भी पानी नहीं बहता है।
चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि समिति की राय में अगर दिल्ली जल बोर्ड शहर के सभी सीवेज को सही तरीके से ठीक भी कर दे तब भी यमुना नदी प्रदूषित रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यमुना में बहुत कम ताजा पानी बहता है। हालांकि, पंजाब में नदियों की सफाई के लिए अभियान की अगुवाई कर चुके आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल का मानना है कि कूड़ा-कचरा न डालने और प्रदूषित पानी को साफ करने से नदी को बचाया जा सकता है।
संसदीय समिति ने बताया कि दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत यमुना का कोई पारिस्थितिक अध्ययन नहीं किया गया है। मशहूर जल संरक्षणविद् डॉ. राजिंदर सिंह बताते हैं कि भले ही यमुना नदी पर छोटे अध्ययन किए गए हो लेकिन इससे जुड़ी बड़ी तस्वीर को देखना बेहद जरूरी है। समिति ने केंद्र से गुजारिश की है कि वो यमुना बेसिन राज्यों पर दबाव डाले कि वे नदी की बेहतरी के लिए जरूरी पर्यावरणीय प्रवाह सुनिश्चित करें।
हालांकि डॉ. राजेंद्र सिंह के मुताबिक जब तक नदी से पानी लेने वाले राज्य इस पर अपनी निर्भरता कम नहीं करेंगे, तब तक नदी को नई जिंदगी नहीं दी जा सकती। इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने नदी को साफ करने को लेकर चल रहे कामों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को यमुना रिवरफ्रंट परियोजना पर काम करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें प्रदूषित यमुना नदी को साफ करने के लिए जन भागीदारी, रियल टाइम डेटा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल जैसे उपायों पर चर्चा की गई।