Stray dogs: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सार्वजनिक जगहों से हटाकर “जल्द से जल्द” स्थायी रूप से आश्रय जगहों पर भेजा जाए।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं को “बेहद गंभीर” बताते हुए कई आदेश जारी किए और चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आदेश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और ऐसे मामलों में अदालत के अवमानना की कार्यवाही भी की जा सकती है।
दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि “दिल्ली में यह गंभीर समस्या बन चुकी है बेसहारा पशुओं की, खासतौर पर स्ट्रीट डॉग्स की बड़ी समस्या है। निर्णायक और ऐतिहासिक ये निर्णय है, टर्निंग प्वाइंट है इस पूरे काम की दिशा में और सुप्रीम कोर्ट ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं डॉग शेल्टर बनाने का, डॉग को उसमें ले जाने का, वेक्सिनेशन कराने का, हेल्पलाइन बनाने का और हम लोग इन सभी निर्णयों को समयबद्ध तरीके से दया, करुणा और मानवता की भावना के साथ इस निर्णय को लागू करेंगे।”
दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक कुत्तों के काटने के 26,334 मामले सामने आए हैं। एमसीडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में कुत्तों के काटने के 68,090 मामले सामने आए।
अलग-अलग अनुमानों के अनुसार दिल्ली में आवारा कुत्तों की आबादी तीन लाख से 10 लाख के बीच है, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को रखने के लिए लगभग 10,000 सुसज्जित आश्रयों की जरूरत होगी। उनका तर्क है कि इनको बनाने के लिए जरूरी जमीन, बुनियादी ढाँचा, संसाधन और पैसे वास्तविक संभावनाओं से कहीं अधिक हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निगमों को सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय गृहों में रखने का आदेश दिया है। न्यायालय ने इसके अलावा ये भी आदेश दिया है कि कुत्तों के आश्रय गृहों में कुत्तों की देखभाल के अलावा उनके नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी भी रखने होंगे। ये तय करने के लिए कि कुत्ते सुविधा केंद्र में ही रहें, इन केंद्रों पर सीसीटीवी की निगरानी होगी।
पशु कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा कि “दिल्ली में तीन लाख कुत्ते हैं, आप तीन लाख कुत्तों को उठाकर सेंटर में रख दीजिए, सबसे पहले दिल्ली सरकार को 1000 या शायद 2000 सेंटर ढूंढने होंगे क्योंकि आप इतने सारे कुत्तों को एक साथ नहीं रख सकते, वो लड़ेंगे। सबसे पहले उन्हें इसके लिए जमीन तलाशनी होगी और आपको आठ हफ़्तों में इन्हें बनाना होगा और इसकी लागत कम से कम चार से पांच करोड़ रुपए होगी क्योंकि हर सेंटर में केयर टेकर, फ़ूड देने वाले, चौकीदार रखने होंगे और फिर उन्हें 2000-3000 ऐसी जगहें ढूंढनी होंगी, जहाँ कोई नहीं रहता और फिर उन्हें वहाँ रखना होगा, आप लगभग 10,000 करोड़ रुपए खर्च करेंगे, जो दिल्ली सरकार के पास नहीं है।”
इसके साथ ही पेटा एडवोकेसी एसोसिएट शौर्य अग्रवाल ने कहा कि “कुत्तों का स्थानांतरण कोई विकल्प नहीं हो सकता। ये विकल्प सिर्फ इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि ये अतार्किक है, अवैध है, अव्यावहारिक है, अमानवीय है। आठ लाख कुत्तों को घर में रखना संभव नहीं है। दिल्ली में आठ से 10 लाख कुत्ते हैं। 2022-23 में हुए एक सर्वे के अनुसार दिल्ली में 10 लाख तक कुत्ते मौजूद थे। इन कुत्तों को मानवीय और उचित तरीके से रखना दिल्ली में कहीं भी संभव नहीं है।”