New Delhi: चीन के विदेश मंत्री वांग यी दो दिनों के भारत दौरे पर आ रहे हैं, वह भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों के वार्ता की अगुवाई करेंगे। वार्ता का मकसद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात की समीक्षा करना और विवादित सीमा पर शांति बहाल करने के उपायों पर विचार करना है। इस मुद्दे पर वांग यी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत करेंगे।
जेएनयू चाईना स्टडीज के प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि “2005 में विशेष प्रतिनिधिमंडल अस्तित्व में आया। इससे पहले विदेश सचिव क्षेत्रीय विवादों पर चर्चा करते थे। विदेश सचिव स्तर पर हमारी लगभग 15 चर्चाएं हुईं। इसलिए एक नई संस्था बनाई गई- विशेष प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करेंगे। चीन की ओर से विदेश मंत्री या अमूमन राज्य सलाहकार करते हैं।”
दोनों देश 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद तनाव दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में ये वार्ता हो रही है। उस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों की जान गई थी और आपसी विश्वास काफी कम हो गया था। हालांकि टकराव वाली कई जगहों से सैनिकों की वापसी हो गई है, फिर भी तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इस महीने के अंत में एससीओ शिखर सम्मेलन होना है। वार्ता के जरिये इस बात की भी नींव रखी जाएगी कि शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी चीन दौरा करें।
सेंटर फॉर नॉर्थ-ईस्ट एशियन स्टडीज, जेजीयू डॉ. श्रीपर्ण पाठक संस्थापक निदेशक ने कहा कि “विशेष प्रतिनिधिमंडल की बातचीत का 24वां दौर महत्वपूर्ण है। ये बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तियानजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा का सुरक्षित मार्ग भी तय करेगी या कम से कम ऐसा करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा और भी कई बातें हैं। निश्चित रूप से दूरियां हैं। अमेरिका को भारत रणनीतिक साझेदार मानता है। वो कुछ दुर्भावनापूर्ण आर्थिक गतिविधियों में लिप्त है। इसलिए दूसरे समकक्षों से मिलना और ये समझना भी महत्वपूर्ण है कि वे बदलती भू-राजनीतिक हालात का कैसे सामना कर रहे हैं, संक्षेप में यही इस यात्रा का मकसद है।”
दो दिनों की यात्रा के दौरान वांग यी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे, दोनों पक्ष नए सिरे से आपसी रिश्तों को सुधारने और सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके तहत यात्रा और राजनयिक संबंध बहाल करना भी शामिल है।