New Delhi: सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान-चीन-बांग्लादेश गठजोड़ को लेकर किया आगाह

New Delhi: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गठजोड़ को लेकर आगाह किया है। सीडीएस चौहान ने कहा कि इन तीन देशों के बीच हितों के संभावित गठजोड़ से भारत की स्थिरता और सुरक्षा गतिशीलता पर गंभीर असर पड़ सकता है।

जनरल चौहान ने एक थिंक-टैंक में अपने संबोधन में भारत और पाकिस्तान के बीच 7-10 मई के सैन्य संघर्ष पर चर्चा करते हुए कहा कि शायद ये पहली बार था कि दो परमाणु हथियार संपन्न देश सीधे तौर पर संघर्ष में शामिल रहे। जनरल चौहान ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के देशों में आर्थिक संकट ने बाहरी शक्तियों को अपने असर का फायदा उठाने का मौका दिया है, जो भारत के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है।

जनरल चौहान ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हितों के संभावित अभिसरण के बारे में हम बात कर सकते हैं, जिसका भारत की स्थिरता और सुरक्षा गतिशीलता पर असर पड़ सकता है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिछले साल अगस्त में ढाका से भागकर भारत में शरण लेने के बाद बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों में भारी गिरावट देखी गई।

ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि पारंपरिक अभियानों में अंतरिक्ष का ज्यादा विस्तार साइबर और विद्युत चुंबकीय क्षेत्रों जैसे युद्ध के नए क्षेत्रों में ले जाकर संभव है। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार भारत ने पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को दरकिनार किया, सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि उन्हें लगता है कि ऑपरेशन सिंदूर दो परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच संघर्ष का एकमात्र उदाहरण है।

जनरल चौहान ने कहा कि परमाणु हथियारों के आविष्कार के बाद से दुनिया भर में सैकड़ों संघर्ष हुए हैं, लेकिन यह पहली बार था कि दो परमाणु हथियार संपन्न देश सीधे संघर्ष में शामिल थे। उनके मुताबिक इस तरह से ऑपरेशन सिंदूर अपने आप में थोड़ा अनूठा है, और ये न सिर्फ उप-महाद्वीप के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबक हो सकता है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि “आईओआर के देशों में आर्थिक संकट ने बाहरी शक्तियों को अपना असर बढ़ाने का मौकी दे दिया है, जिससे भारत के लिए कमजोरियां पैदा हो सकती हैं। इसी तरह, भू-राजनैतिक स्थिति और वैचारिक दृष्टिकोण में बदलाव के साथ दक्षिण एशिया में सरकार में बार-बार बदलाव एक और बड़ी चुनौती है जिसका हम सामना कर रहे हैं। इसी तरह, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच अपने-अपने हितों के संभावित झुकाव के बारे में हम बात कर सकते हैं।”

 

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