New Delhi: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विदेशी राजदूतों से पूर्वोत्तर भारत की संभावनाओं का पता लगाने का किया आग्रह

New Delhi: उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 के लिए राजदूतों को वर्चुअली संबोधित करते हुए, जयशंकर ने पड़ोसी पहले, एक्ट ईस्ट और बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल सहित कई भारतीय नीतियों में क्षेत्र की केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर भारत की सीमा पांच पड़ोसी देशों से मिलती है और ये इलाका भारत और आसियान देशों के बीच एक महत्वपूर्ण पुल की तरह है।” विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के कई अहम कदम, जो भारत के पड़ोसी देशों से जुड़े हैं, पूर्वोत्तर क्षेत्र से ही शुरू हुए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि त्रिपक्षीय राजमार्ग और कालादान परियोजना जैसे प्रोजेक्ट भी उतने ही जरूरी हैं।

उन्होंने कहा, “हर मायने में ये क्षेत्र एक केंद्र है, जिसकी अहमियत समय के साथ और बढ़ेगी।” उन्होंने ये भी बताया कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास को प्राथमिकता दी है। एस. जयशंकर ने राजदूतों से कहा, “हम चाहते हैं कि आप इस क्षेत्र की खासियतों को जानें और उन्हें अपनी सरकारों और उद्योगों तक पहुंचाएं। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा दें।”

बाद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक को लेकर सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि “पूर्वोत्तर क्षेत्र की बढ़ती अहमियत को उजागर किया- ये अब दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ने का रास्ता, एक आकर्षक पर्यटन स्थल और दुनिया भर में काम करने वाले लोगों के योगदान का एक नया केंद्र बनता जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे विश्वास है कि नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट से क्षेत्र की ताकतों का लाभ उठाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की उम्मीद है। पूरा पूर्वोत्तर इलाका हमारे पांच पड़ोसी देशों के साथ जमीनी सीमा साझा करता है। ये इलाका भारतीय उप-महाद्वीप और आसियान देशों के बीच एक अहम कड़ी है। हर मायने में ये एक केंद्र बिंदु है, जिसकी अहमियत समय के साथ और भी बढ़ेगी।”

“हम चाहते हैं कि आप इस क्षेत्र की विशेषताओं को अच्छे से समझें और अपने देश की सरकार और उद्योगों के साथ इसे साझा करें। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा दें।”

इसके साथ ही कहा कि आने वाले समय में पूर्वोत्तर भारत की अहमियत और बढ़ेगी। उन्होंने दुनिया के अलग-अलग देशों के राजदूतों से कहा कि वे इस क्षेत्र को अच्छे से जानें और इसकी खासियतें अपने देश की सरकार और कंपनियों को बताएं।

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