New Delhi: दिल्ली और केंद्र में भले ही लड़ाई न हो, पर इसका मतलब यह नहीं कि वह सक्रिय होंगे

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता परिवर्तन के साथ केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वे वायु प्रदूषण संकट को हल करने में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ एमसी मेहता मामले में दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
मामले में अदालत की सहायता करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात से राहत मिली है कि राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी के सरकार बनाने के बाद से दिल्ली और केंद्र के बीच टकराव नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि आधा समय लड़ाई में बर्बाद हो गया और मुद्दे अनसुलझे रह गए। इसके बाद पीठ ने हल्के अंदाज में कहा, ‘‘यह इसका व्यावहारिक पहलू है। हो सकता है कि वे लड़ाई न कर रहे हों, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे सक्रिय होंगे।’’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कोई टकराव नहीं होगा, भाटी ने दिल्ली में वर्तमान में लागू जीआरएपी-चार उपायों में ढील देने की अनुमति मांगी। पीठ ने कहा कि वह 17 फरवरी को इस मुद्दे पर विचार करेगी और भाटी को वायु गुणवत्ता सूचकांक चार्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने भाटी से इस पहलू पर निर्देश मांगने को कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सिफारिशों को सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण से जूझ रहे सभी शहरों में लागू किया जा सकता है।

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