New Delhi: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने के लिए किए जा रहे अध्यन को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार के आदेश पर रोक दिया गया था।
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली कैबिनेट ने जुलाई 2021 में अध्ययन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2022 में आईआईटी कानपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए थे। उन्होंने कहा कि अनुमानित लागत 12 करोड़ रुपये से ज्यादा थी, दिल्ली सरकार ने जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए आईआईटी कानपुर को 10 लाख रुपये जारी किए थे।
गोपाल राय ने दावा किया कि दिसंबर में डीपीसीसी अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने इस साल की शुरुआत में एक फाइल नोट बनाया था, जिसमें अध्ययन से जुड़े पर्याप्त खर्च के बारे में चिंता जाहिर की गई थी। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ कई बैठकों के बाद अश्विनी कुमार ने 18 अक्टूबर को आईआईटी कानपुर को बाकी धनराशि जारी करने से रोकने के आदेश जारी किए, ऐसा करने से अध्ययन प्रभावी रूप से रद्द हो गया।
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उन्होंने कहा कि अश्विनी कुमार ने उन्हें या कैबिनेट को अपने फैसले के बारे में जानकारी नहीं दी थी।
रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट स्टडी से किसी भी जगह पर वायु प्रदूषण की वजहों के लिए जिम्मेदार चीजों की पहचान करने में मदद करता है। जैसे वाहन, धूल, बायोमास जलाना और उद्योगों से निकलने वाला कार्बन। गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार सर्दियों के बाद प्रमुख वैज्ञानिकों से प्रदूषण सोर्स अपॉर्शन्मन्ट स्टडी की समीक्षा करने के लिए कहेगी।
गोपाल राय ने बयान देते हुए कहा कि “कैबिनेट ने निर्णय लिया स्टडी कराने का लेकिन डीपीसीसी के अध्यक्ष अश्विनी कुमार जी ने स्वयं निर्णय लेते हुए स्टडी को बंद करवा दिया। बिना मंत्री से चर्चा के, बिना कैबिनेट से चर्चा के, बिना किसी निर्णय के कैबिनेट के फैसले को उन्होंने पलट दिया। जब इस दिल्ली को सबसे ज्यादा जरूरत है इस समय के उस वैज्ञानिक जांच के आधार पर वैज्ञानिक एक्शन बनाया जाए, उस समय हमारे पास सोर्स उपलब्ध नहीं है। ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है दिल्ली के लिए। मैं आपको बताना चाहता हूं कि दिल्ली के अंदर आठ जुलाई 2021 को कैबिनेट ने ये निर्णय लिया था कि दिल्ली में रियल टाइम सोर्स अपॉर्शन्मन्ट स्टडी की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि “हमने आईआईटी कानपुर के साथ 22 अक्टूबर 2021 को हमने एमओयू साइन किया था। एमओयू साइन करने के समय जो निर्णय हुआ था कि ये जो पूरी स्टडी है ये 12 करोड़ 727 रुपये इस पर खर्च होंगे जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। स्टडी शुरू करने के लिए जो स्टेशन में जो तमाम उपकरण मंगाने थे उसके लिए 10 लाख सात हजार 248 रुपये आईआईटी कानपुर को रिलीज कर दिए गए।”
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इसके साथ ही बताया कि “जिस तरह की गैर-जम्मेदाराना, जनविरोधी और नियम विरोधी निर्णय अश्विनी कुमार जी ने लिया है उसको देखते हुए आज हमने मुख्यमंत्री जी को नोट भेजा है कि ऐसी स्थितियों में अश्विनी कुमार जी को जो डीपीसीसी के अध्यक्ष हैं उनको सस्पेंड किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इन्होंने जो दूसरा जो कैबिनेट ने निर्णय लिया था जो दो करोड़ रुपया आईआईटी कानपुर का भुगतार है वो जल्द किया जाए, जिससे जो स्टडी है वो शुरू हो सके और साथ ही साथ ये सर्दियां समाप्त होने के बाद जो इस फील्ड के क्वालिफाइड वैज्ञानिक हैं उन लोगों से इस पूरे स्टडी को फिर से शुरू किया जाए जिससे आगे फैसले लिए जा सकें।”