New Delhi: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में चल रही है ‘अबू की दुनिया’ प्रदर्शनी

New Delhi: कार्टूनिस्ट अबू अब्राहम के शानदार काम को याद करते हुए दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘अबू की दुनिया’ के नाम से प्रदर्शनी चल रही है, प्रदर्शनी में अब्राहम के काम को दिखाया गया है। अब्राहम ने इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष, वियतनाम युद्ध, आपातकाल और 90 के दशक की शुरुआत में हिंदुत्व की सियासत समेत तमाम तत्कालीन मुद्दों पर अपना नजरिया पेश किया था।

अब्राहम के मशहूर कार्टून 1960 से 1980 के दशक के बीच इंडियन एक्सप्रेस में भी छपे थे। अबू अब्राहम और आर.के. लक्ष्मण का नाम देश के मशहूर कार्टूनिस्टों में लिया जाता है।

इस प्रदर्शनी के जरिए अबू अब्राहम की जन्म शताब्दी को मनाया जा रहा है। इसमें अबू के 200 से ज्यादा कार्टूनों को भी दिखाया जा रहा है। भारत और दुनिया की सियासत पर तीखे तंज के अलावा अबू अब्राहम ने महात्मा गांधी, फिदेल कास्त्रो और जवाहरलाल नेहरू जैसी मशहूर हस्तियों के चित्र भी बनाए थे।

अबू ने जानवरों के पक्ष को भी समझने की कोशिश की, उनकी बनाई तस्वीरों में इंसानों के साथ जानवर भी नजर आए, मार्च में कोच्चि से शुरू होकर ये प्रदर्शनी दिल्ली आने से पहले बेंगलुरू और कोलकाता में भी लग चुकी है, दिल्ली में ये प्रदर्शनी 19 नवंबर तक चलेगी।

अबू अब्राहम की बेटी और कलाकार आयशा अब्राहम ने बताया कि “हमने उनके शुरुआती सालों से लेकर अंत तक का काम है। हमने उनके काम को सिलसिलेबार करने की कोशिश की है लेकिन हमने उनके कुछ कामों को गहराई से भी जानने की कोशिश की है जो वास्तव में भारतीय इतिहास को बयां करते हैं। खास तौर पर 69 से लेकर 70 के दशक में आपातकाल के जरिये से 80 के दशक तक। वो इंडियन एक्सप्रेस में उनके करियर का चरम था इसलिए हमने उनके काम के उस युग को और ज्यादा गहराई से देखने की कोशिश की है।”

इसके साथ ही कहा कि “वह हर समय काम करते थे, वो हर समय चित्र बनाते थे। वो यात्रा कर रहे होते थे तो कुदरत को देख रहे होते थे। उन्हें प्राकृतिक दुनिया से बहुत प्यार था। पक्षियों के प्रेमी, जानवरों के प्रेमी, जब उन्होंने यात्रा की तो उन्होंने उस दुनिया को अपने चित्रों में दर्ज किया और इसने कैरिकेचर में अपनी जगह बना ली। इसलिए अगर आप प्रदर्शनी में ध्यान दें, तो जानवरों का साम्राज्य अलग-अलग रूपों में दिखाई देता है। आप उन मनुष्यों के रूपक के रूप में जानते हैं जो उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। वे राजनैतिक और सामाजिक रूप से जो कुछ हो रहा था उसके लिए रूपक बन गए।”

 

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