New Delhi: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ रक्षात्मक के बजाय “आक्रामक अभियान” चला रहे हैं और हाल के दिनों में उन्हें बड़ी सफलता मिली है। नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और टॉप अधिकारियों को अमित शाह ने कहा कि बेहतर सुरक्षा स्थिति के कारण पिछले लोकसभा चुनावों में माओवादी प्रभावित एरिया में 70 फीसदी तक वोटिंग हुई। उन्होंने कहा कि पहले इस एरिया में शून्य वोटिंग हुई थी।
इस अहम बैठक में नक्सल विरोधी अभियानों और प्रभावित एरिया में किए गए विकास पहलों पर चर्चा की गई। नक्सलियों को विकास में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए उन्होंने कहा कि वे सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता हैं जो आठ करोड़ से ज्यादा लोगों को विकास और बुनियादी सुविधाओं के अवसरों से वंचित कर रहे हैं।
नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं, मोदी सरकार की रणनीति के कारण हिंसा में 72 फीसदी की कमी आई है, जबकि 2010 की तुलना में 2023 में मौतों में 86 फीसदी की कमी आई है।
अधिकारियों ने कहा कि नक्सली अब अपनी आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं, गृह मंत्रालय ने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई और गृह मंत्री के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद के खतरे को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शाह ने पिछली बार छह अक्टूबर, 2023 को प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की थी, इस समस्या से प्रभावित जिलों की संख्या अब सिर्फ 38 है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “नक्सलवादी गांवों को ना शिक्षा से युक्त होने देते हैं ना वहां स्वास्थ्य की सुविधाएं देने देते हैं। ना वहां कनेक्टिविटी को आगे बढ़ने में मदद करते हैं। ना टेलीफोन, पोस्ट और बैंकिंग सेवाओं को भी आगे बढ़ने देते हैं। हम सब का ये लक्ष्य होना चाहिए कि अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाना है तो हमें नक्सलवाद को पूर्णतः निर्मूल करना होगा।”
इसके साथ ही कहा कि “एक प्रकार से इसका अवलोकन करें तो वामपंथी उग्रवाद की लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है ऐसा हम कह सकते हैं। मैं विश्वास के साथ आप सभी को बताना चाहता हूं कि 2026 मार्च तक आप सभी के सहयोग से ये देश दशकों पुरानी समस्या से मुक्ति पा लेगा।”