New Delhi: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसला लिया गया।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा, “ये ऐतिहासिक फैसला है और ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं और हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के साथ बहुत अच्छे से मेल खाती है।”
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर, 2004 को “क्लासिकल भाषाओं” के रूप में भाषाओं की एक नई कैटेगरी बनाने का फैसला किया, जिसमें तमिल को क्लासिकल भाषा घोषित किया गया था। उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया गया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि “आप सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हमेशा भारतीय भाषाओं पर बहुत बड़ा एक ध्यान दिया है, बहुत बड़ा फोकस दिया है। अपनी भाषा में हम गर्व करें और अपनी भाषा में एजुकेशन हो, अपनी भाषा बातचीत में डेली में लाएं। हर तरीके से अपनी भाषाओं को चाहे वो तमिल हो, तेलुगु हो, चाहे मलयालम, चाहे भोजपुरी, चाहे मैथली, चाहे उड़़िया, असमिया, गुजराती, मराठी, पंजाबी कोई भी भाषा हो, अपनी भाषा में हम गर्व करें। सरकार क्लासिकल भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन तथा इन भाषाओं की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है…इस पर एक बड़ा फैसला लिया गया है। कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दे दी है।”