New Delhi: कैदी की जाति देखकर काम देना गलत, जेल मैन्युअल में बदलाव करें राज्य- सुप्रीम कोर्ट

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति के आधार पर भेदभाव से संबंधित याचिका पर सुनवाई की, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों के जेल मैन्युअल की निंदा करते हुए कहा कि जेलों में कैदियों के साथ जाति के आधार पर भेदभाव करना गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल में जाति के आधार पर भेदभाव, कैदियों को काम देना और अलग-अलग वार्डों में रखना असंवैधानिक है। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जेलों में जाति आधारित भेदभाव को रोकने के लिए कई निर्देश भी जारी किए हैं।

कोर्ट ने कहा, “कैदियों को खतरनाक हालात में सीवर टैंकों की सफाई करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।” कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुलिस को जाति आधारित भेदभाव के मामलों से निपटने के लिए ईमानदारी से काम करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियमों पर ऐतराज जताया और राज्यों को तीन महीने के अंदर उनमें संशोधन करने का आदेश भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी खास जाति के कैदियों को सफाईकर्मियों के रूप में चुनना गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में महाराष्ट्र के कल्याण की रहने वाली सुकन्या शांता की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत 11 राज्यों की सरकारों से जवाब मांगा था, याचिका में दावा किया गया था कि पश्चिम बंगाल के जेल मैन्युअल में कहा गया है कि जेल में काम जाति के आधार पर बांटा जाना चाहिए।

 

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