NDWBF 2025: नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 (NDWBF) में 2 मिलियन से अधिक विजिटर की रिकॉर्ड तोड़ मौजूदगी देखी गई, जो किताबों के प्रति लोगों के प्रेम को उजागर करता है। मेले में पुस्तक प्रेमी अपने पसंदीदा लेखकों से मिलने और अपनी मन-पसंद किताबों को रियायती मूल्य में खरीदने का उत्साह लिए 1 से 9 फरवरी तक भारत मंडपम में इकट्ठा हुए।
इस कार्यक्रम ने पेंगुइन रैंडम हाउस, हार्पर कॉलिन्स, ब्लूम्सबरी, राजकमल प्रकाशन और वाणी प्रकाशन जैसे प्रमुख नामों सहित 2,000 से अधिक प्रकाशनों के साथ साहित्यिक दुनिया को एक ऐसा मंच दिया, जो पुस्तक प्रेमियों के लिए यादगार लम्हे के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
इस साल पुस्तक मेले की थीम, “Republic@75” थी, जिसने भारत की सांस्कृतिक विरासत और भविष्य की आकांक्षाओं को दुनिया के सामने उजागर किया और इसे सभी उम्र के पाठकों ने बहुत पसंद किया।
NDWBF की शुरुआत 1972 में हुई थी और उस वर्ष से, दिल्ली के लोगों से लगातार बढ़ती प्रतिक्रिया की हमें उम्मीद थी। इस बार दर्शकों की संख्या असाधारण थी। हालांकि सटीक आधिकारिक संख्या अभी तक जारी नहीं की गई है। पिछले साल की तुलना में दर्शकों की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बहुचर्चित मेले के 32वें संस्करण ने जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिसमें प्रकाशन घरों ने साहित्यिक प्राथमिकताओं की अलग-अलग श्रृंखला को पेश किया। जिसमें फिक्शन और नॉन-फिक्शन से लेकर सेल्फ-हेल्प, साइंस-फिक्शन और बच्चों की किताबें तक शामिल थीं।
फिक्शन से लेकर नॉन-फिक्शन तक सब कुछ बिक रहा है। नॉन-फिक्शन में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें विलियम डेलरिम्पल की ‘द गोल्डन रोड’, शिव खेड़ा की ‘लिव व्हाईल यू आर अलाइव’ और डॉ. शिव सरीन की ‘ओन योर बॉडी’ हैं। ये तीनों अलग-अलग तरह की किताबें हैं, एक इतिहास है, एक स्वास्थ्य पुस्तक है और दूसरी व्यक्तिगत विकास, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पुस्तक है।
पिछले साल की तरह मेले में मशहूर भारत मंडप में 50 देशों की पुस्तकें और कई अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के लेखकों और वक्ताओं की भागीदारी देखी गई। मेले में रूस ने “बुक्स फ्रॉम रशिया” पहल के जरिए 1,000 पुस्तकों का एक प्रभावशाली संग्रह प्रदर्शित किया।
कई लेखक नौ दिवसीय मेला कार्यक्रम में पाठकों की भारी मौजूदगी देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने पढ़ने की आदतों को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका के लिए NDWBF को “राष्ट्रीय खजाना” बताया। पढ़ने के प्रति अपने प्रेम के साथ लेकिन बजट को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट ने किताबों की कैटलॉग का रुख किया और साहित्यिक खजाने को खोजने के लिए उसे छान डाला।
9 फ़रवरी को संपन्न हुए नौ दिवसीय पुस्तक मेले में किताबों की बिक्री के अलावा कई साहित्यिक लेखकों से बातचीत की श्रृंखला भी पेश की गई। ब्रह्मपुत्र लिटरेचर फेस्टिवल, प्रभात प्रकाशन, भारत लिटरेचर फेस्टिवल, एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल, पेंगुइन डायलॉग्स और ग्रेट इंडियन बुक टूर जैसे कार्यक्रम उसी क्रम में चले, जिसमें मेले में शामिल होने वालों के बीच विचारों का आदान-प्रदान भी हुआ।