Independence Day: भारत 15 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, इस मौके पर दिल्ली में मुगल बादशाह शाहजहां के बनवाए लाल किले पर तिरंगा फहराने की परंपरा है। प्रधानमंत्री हर साल इसकी प्राचीर से तिरंगा फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं, लेकिन लाल किले में ही मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन क्यों किया जाता है, यह आपको बताते हैं।
किरोड़ीमल कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर सुमित कुमार ने बताया कि ”1857 का विद्रोह, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा था, वहां भी हम सिपाहियों को, जैसा कि आप जानते हैं, लाल किले में आते और बहादुर शाह ज़फ़र को अपना शासक होने का दावा करते हुए देखते हैं। तो अगर आप हिंदुस्तान के लोगों की याद में, हिंदुस्तान के लोगों की याद में लाल किला देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इससे जुड़े हुए सम्राट बहुत महत्वपूर्ण थे। यह केंद्र बिंदु था। यह हर चीज़ का केंद्र बिंदु था।
लाल किला भारत के समृद्ध इतिहास का प्रतीक है और मुगल वंश के बढने से लेकर उसके पतन तक का गवाह है। 1857 में पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी क्रांतिकारियों ने लाल किले के पास रैली की थी। तब उन्होंने मुगलों के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित किया था। 1940 के दशक में इंडियन नेशनल आर्मी यानी आईएनए के ट्रायल के दौरान इसकी अहमियत और बढ़ गई। इस दौरान आईएनए के प्रति सहानुभूति बढी और अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा बढता गया। जैसे ही भारत आजाद हुआ देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराया और ऐतिहासिक भाषण दिया।
इसके साथ ही इतिहास के प्रोफेसर सुमित कुमार ने कहा कि ”इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था लेकिन अगर आप लाल किला की ऐतिहासिक प्रासंगिकता को देखें, तो लोगों ने सोचा होगा कि इसकी एक बड़ी ऐतिहासिक विरासत है। यह भारत की महान परंपरा को दर्शाता है, यह एक प्रकार की उस परिणति का भी प्रतिनिधित्व करता है जो हम उस समय विशेष में थे। ठीक है आप जानते हैं कि मुग़ल सम्राट से लेकर, आप जानते हैं, ब्रिटिश स्वतंत्रता संग्राम 1857 और उसके बाद भी इसकी पहचान बनी रही।
लाल किले पर मनाया गया जश्न अंग्रेजों से किले को फिर से हासिल करने और भारत की आजादी का प्रतीक है। तब से हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर देश को संबोधित करते हैं। ये परंपरा देश के स्वतंत्रता दिवस समारोह का जरूरी हिस्सा बन गई है।