Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट आज दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर स्थायी बैन हटाने के मामले में सुनवाई करेगा, केंद्र सरकार ने बुधवार को कोर्ट से समय मांगा। केंद्र ने कहा कि सभी की सलाह के बाद रिपोर्ट पेश करेंगे। इससे पहले 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने NEERI(National Environmental Engineering Research Institute) और PESO (Petroleum and Explosives Safety Organisation) सर्टिफाइड ग्रीन पटाखे बनाने की मंजूरी दी थी। लेकिन बिना कोर्ट की इजाजत NCR में बिक्री न करने की शर्त रखी थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही। पटाखा कंपनियों के वकील बलबीर सिंह ने दिवाली से पहले सुनवाई की मांग की थी।
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ग्रीन पटाखों पर छूट चाहती हैं। उन्होंने कहा कि दिवाली सांस्कृतिक त्योहार है, जनभावनाओं का सम्मान जरूरी। कोर्ट ने सभी पक्षों से परामर्श के बाद फैसला लेने का निर्देश दिया है। जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक शर्त भी रखी थी। बेंच ने कहा था कि वे कोर्ट के अगले आदेश तक NCR में कोई भी पटाखा नहीं बेचेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पटाखों पर पूरी तरह बैन न तो संभव है, न ही यह सही है। हम केंद्र से आग्रह करते हैं कि दिल्ली सरकार, पटाखा बनाने और बेचने वालों सहित सभी हितधारकों से बातचीत करके पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को संशोधित करने का प्रस्ताव लेकर आएं। एक व्यावहारिक समाधान लेकर आएं, जिसे सभी स्वीकार करें।
सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कहा था कि अगर दिल्ली-NCR के शहरों को साफ हवा का हक है तो दूसरे शहरों के लोगों को क्यों नहीं? CJI गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा- अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है तो पूरे देश में बैन करना चाहिए। साफ हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि पूरे देश के नागरिकों को मिलना चाहिए।
इससे पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बैन मामले पर अप्रैल में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बेहद जरूरी बताया था। कोर्ट का कहना था कि प्रतिबंध को कुछ महीनों तक सीमित करने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा। लोग पूरे साल पटाखों को इकट्ठा करेंगे और उस समय बेचेंगे, जब बैन लगा होगा।
दिल्ली में GRAP-1
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में GRAP-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।
आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेंटेनेंस एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रेपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।
AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड), PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।