Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश, कुछ ने किया स्वागत, कुछ को है शिकायत

Delhi-NCR:  सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश दिया है, कोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने से खासकर बच्चों में रेबीज फैलने की घटनाओं को संज्ञान लेते हुए ये निर्देश दिया है। कोर्ट ने छह से आठ हफ्तों के भीतर 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने का आदेश दिया, साथ ही चेतावनी दी कि इस काम में किसी भी तरह की रुकावट को कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों पर भेजने के आदेश का स्वागत किया है। वे अपने एनजीओ लोक अभियान के जरिये आवारा कुत्तों की परेशानियां दूर करने का अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि “आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो अभी आदेश आया है, उसका हम स्वागत करते हैं। पिछले दो साल से लोक अभियान के माध्यम से मैं आवारा कुत्तों के खिलाफ आंदोलन चला रहा हूं। लगभग जो हमारी मांगें थीं, वो सुप्रीम कोर्ट ने सब मानी हैं। और मैं समझता हूं कि पूरे देश को इसका स्वागत करना चाहिए। अभी तो ये एनसीआर में लागू है, पर इसको पूरे देश में लागू करना चाहिए।”

हालांकि जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाले निराश हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने इस फैसले को गुस्से से प्रेरित बताया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा कि “लगता है कि यह फैसला बिना सोचे-विचारे किया गया है, यह फैसला गुस्से की उपज है। अजीब बात है कि यह एक अखबार की क्लिप पर आधारित है। उन्होंने स्वतः संज्ञान इसलिए लिया, क्योंकि उन्होंने अखबारों में पढ़ा था कि एक बच्चे पर कुत्तों के झुंड ने हमला करके उसे मार डाला था। उस मामले में बच्चा कुत्तों के काटने से नहीं मरा था। उसके माता-पिता ने पुष्टि की है कि बच्चे की मौत मेनिन्जाइटिस से हुई थी।”

पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मुलेखी ने कहा कि “उन्होंने सिर्फ एकतरफा दलील सुनी और दूसरे पक्ष की बात सुने बगैर या इस तरह के आदेश से लोगों पर पड़ने वाले नतीजों पर विचार किए बिना कानून बना दिया। अगर 10 लाख कुत्तों को अचानक हटा दिया जाए तो पारिस्थितिकी तंत्र कैसा होगा? उन कुत्तों को कैसे रखा जाएगा? किस तरह के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन की जरूरत होगी? क्या ऐसा करना संभव होगा?”

दिल्ली सरकार ने संकेत दिया है कि वो अदालत के आदेश का पालन करेगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। उन्होंने भरोसा दिया कि आदेश को योजनाबद्ध तरीके से लागू करने के लिए जल्द नीति बनाई जाएगी।

इसके साथ ही दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि “कोर्ट ने जो आदेश दिया है, वो भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा एक ही ध्येय है, दिल्ली की जनता को राहत देना। आज ये प्रॉब्लम जिस विकराल रूप धारण करके दिल्ली के सामने खड़ी है, इसमें सरकार की ईमानदारी के साथ में समाधान देना, ये बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी हमने पूरी योजना बनाते हुए इस समस्या पर काम हम करेंगे और दिल्ली की जनता को बड़ा लाभ हम लगातार देने वाले हैं।”

केरल में भी कुत्तों का आतंक लंबे समय से गंभीर मुद्दा रहा है, मंत्री एम. बी. राजेश ने कहा कि आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पशु जन्म नियंत्रण या एबीसी नियमों में खामियां सामने आ गई हैं, दिल्ली नगर निगम और दूसरे सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक शहर में आवारा कुत्तों की आबादी करीब 10 लाख है। इस साल अब तक कुत्तों के काटने के 26 हजार 334 मामले सामने आए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *