Delhi AQI: दिल्ली का एक्यूआई 311 पर फिर ‘बेहद खराब’

Delhi AQI:  दो दिनों के मामूली सुधार के बाद, दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर से बिगड़ गई है। गुरुवार को ये फिर से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई। पराली जलाने को इसमें प्रमुख कारण माना जा रहा और हाल-फिलहाल इससे कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन शाम चार बजे दर्ज किया जाने वाला 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार को 311 रहा, जिससे दिल्ली ‘रेड जोन’ में आ गई।

सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में चौथे नंबर पर रही, जबकि रोहतक 254 शहरों की सूची में से 348 एक्यूआई के साथ ‘बेहद खराब’ श्रेणी में सबसे ऊपर रहा।

बुधवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ था और कुल एक्यूआई 202 पहुंच गया था, क्योंकि अनुकूल हवा की स्थिति ने प्रदूषण को तितर-बितर करने में मदद की थी।

सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को एक्यूआई 291 और सोमवार को 309 था, गुरुवार को प्रदूषण में पीएम 2.5 प्रमुख तत्व बना रहा। सीपीसीबी के समीर ऐप के अनुसार, राजधानी के 38 निगरानी केंद्रों में से 32 ने वायु गुणवत्ता को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया, जिसका स्तर 300 से ऊपर था।

इस बीच वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) ने अनुमान लगाया है कि गुरुवार को दिल्ली के पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान 21.5 प्रतिशत था, जो शुक्रवार को बढ़कर 36.9 प्रतिशत और शनिवार को 32.4 प्रतिशत हो सकता है, जबकि बुधवार को ये केवल 1.2 प्रतिशत था।

उपग्रह डेटा से पता चला है कि पंजाब में पराली जलाने की 94, हरियाणा में 13 और उत्तर प्रदेश में 74 घटनाएं दर्ज की गईं। पराली जलाने के बाद, परिवहन को दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना गया है, जो गुरुवार को 16.2 प्रतिशत रहा और शुक्रवार को 11.2 प्रतिशत और शनिवार को 12.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, बुधवार को शाम और रात के समय उत्तर-पश्चिम दिशा से हवा की गति घटकर 10 किमी प्रति घंटे से नीचे रहने की उम्मीद थी, पूर्वानुमान में कहा गया है कि 6 से 8 नवंबर के बीच वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रहने की आशंका है।

दिवाली के बाद से राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणियों के बीच उतार-चढ़ाव कर रही है, कभी-कभी ‘गंभीर’ श्रेणी में भी पहुंच गई है।

 

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