Delhi: दिल्ली प्रदूषण का लोगों की सेहत पर दिख रहाअसर, डॉक्टरों ने किया आगाह

Delhi: जहरीला धुआं दिल्ली के लोगों का दम घोंट रहा है, राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का संकट अब सिर्फ सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों तक ही सीमित नहीं रह गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में मौजूद जहरीले पदार्थ तंत्रिका संबंधी और पाचन संबंधी सेहत से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा रहे हैं।

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से नींद न आने और बेचैनी जैसी शिकायतें हो सकती हैं। वे जोर देते हैं कि तय निष्कर्ष निकालने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन की जरूरत है।

दिल्ली एम्स के तंत्रिका विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. ए. एलवारासी ने बताया कि “इसके दीर्घकालिक असर क्या होंगे, यह जानने के लिए हमें इन मरीजों पर समय के साथ नजर रखनी होगी ताकि पता चल सके कि लंबे समय में उनकी स्थिति कैसी रहती है… शायद कोई संबंध हो, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। भारत में अभी अध्ययन शुरू ही हुए हैं। इसलिए हमें विभिन्न केंद्रों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा और ज्यादा डेटा इकट्ठा करना होगा, तभी हम किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे।”

विशेषज्ञों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता से बचने के लिए लंबे वक्त तक घर के अंदर बंद रहने से मानसिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है। सुबह की सैर जैसी नियमित गतिविधियां मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और मनोदशा को नियंत्रित करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर को बढ़ाती हैं। हालांकि घने कोहरे और धुंध से भरी सुबहें लोगों को घर के अंदर रहने के लिए मजबूर कर रही हैं। इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर दिख रहा है।

हालांकि डॉक्टर अब भी यही सलाह देते हैं कि जिस वक्त प्रदूषण सबसे ज्यादा हो, लोगों को सुबह की सैर और कसरत करने से बचना चाहिए। उनके मुताबिक यही जहरीले कणों के संपर्क को कम करने का सबसे असरदार तरीका है। पीक पॉल्यूशन मॉर्निंग में चार से पांच बजे, छह बजे के बीच में होता है, वो टाइमिंग में हवा का ठंडापन थोड़ा ज्यादा होने के कारण पॉल्यूशन लेवल एयर में ज्यादा होते हैं पीएम2.5 और पीएम10। तो उस टाइम पर लोग मॉर्निंग वॉक करने के लिए न जाएं और जितना हो सके घर के अंदर रहें। बाकि जितना मॉर्निंग वॉक में जाकर एक्सरसाइज करते थे, वो मॉर्निंग वॉक से बचें उस टाइम पर एक्सरसाइज जरूर करें वो न्यूरोलॉजिकल हेल्थ और बाकी समस्याओं को कम करने में सहायता करता है।

जहरीली हवा आंतों की सेहत भी खराब कर सकती है। इससे लोगों में मतली और दस्त जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं, डॉक्टरों का कहना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना स्वास्थ्य बनाए रखने और बीमारियों से लड़ने की कुंजी है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों और एंटीऑक्सीडेंट का ज्यादा सेवन आंतों की सेहत पर प्रदूषण के बुरे असर को कम करने में मदद कर सकता है।

इस साल दिसंबर के महीने में दिल्ली की खतरनाक हवा से लोगों को बहुत कम राहत मिली है, क्योंकि शहर में एक भी दिन वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज नहीं की गई है। वहीं अब तक लगभग 20 दिनों तक प्रदूषण का स्तर रेड जोन में बना रहा है, सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक वायु गुणवत्ता 200 से कम होने पर प्रदूषण का स्तर मध्यम श्रेणी में माना जाता है, यह इस बार दिसंबर में एक बार भी नहीं दिखा।

वहीं पिछले साल इसी दौरान राष्ट्रीय राजधानी में छह दिनों तक वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई थी, वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता अगले हफ्ते ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने का अनुमान है।

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