Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि इंडिगो की कई उड़ानों को रद्द करने की स्थिति क्यों पैदा हुई। उच्च न्यायालय ने कहा कि फंसे हुए यात्रियों को हुई परेशानी और असुविधा के अलावा देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे नुकसान हुआ है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह भी पूछा कि अन्य एयरलाइंस संकट की स्थिति का फायदा उठाकर यात्रियों से टिकटों के लिए भारी रकम कैसे वसूल सकती हैं।
हाई कोर्ट की बेंच ने डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक सुनवाई करते हुए पूछा, “जो टिकट 5,000 रुपये में उपलब्ध था, उसकी कीमतें बढ़कर 30,000 से 35,000 रुपये तक कैसे पहुंच गईं। अगर संकट था, तो अन्य एयरलाइंस को इसका फायदा उठाने की अनुमति कैसे दी जा सकती थी? पीठ ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई की तारीख 22 जनवरी तक, यदि कोई जांच पूरी हो जाती है, तो उसकी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत में प्रस्तुत की जानी चाहिए।
केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के वकीलों ने अदालत को बताया कि वैधानिक प्रक्रिया पूरी तरह से लागू थी और इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिस पर इंडिगो ने माफी मांगी। अदालत इंडिगो की सैकड़ों उड़ानें रद्द किए जाने से प्रभावित यात्रियों को सहायता और मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान, पीठ ने बिना किसी शोध और दस्तावेजीकरण के याचिका दायर करने के तरीके पर नाखुशी जाहिर की। अदालत ने एयरलाइन को निर्देश दिया कि वह फंसे हुए यात्रियों को न केवल उड़ानें रद्द होने बल्कि उन्हें हुई अन्य परेशानियों के लिए भी मुआवजा देने की व्यवस्था करे। अदालत ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो जाए और सभी एयरलाइनें पर्याप्त संख्या में पायलटों की नियुक्ति करें।