Delhi: दिल्ली के बीकानेर हाउस में 18वीं से 21वीं सदी की 100 से ज्यादा पेंटिंग की एक प्रदर्शनी लगी हुई है। ये प्रदर्शनी भारत में एक माध्यम के रूप में कागज़ और कलात्मक अभिव्यक्ति के बीच गहरे संबंध की खोज करती है।ग्रेट बनयान आर्ट की ‘पेपर कीमिया: ट्रेसिंग मेमोरी थ्रू टाइम’ भारत में कला के विकास की खोज करती है और कहानियों को संरक्षित करने, यादों को जगाने का काम भी करती है।
इस प्रदर्शनी में भारतीय कला के जरिए प्रमुख आंदोलनों को को भी दिखाया गया है। इसमें कंपनी स्कूल, बंगाल स्कूल, प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप, मद्रास ग्रुप और समकालीन ग्रुप शामिल हैं। प्रदर्शनी में वाटर कलर, गौचे, टेम्पेरा, ऐक्रेलिक, लिथोग्राफी, एचिंग, एक्वाटिंट, सेरिग्राफी और फोटोग्राफी सहित विविध तकनीकों के माध्यम से कागज की उल्लेखनीय प्रतिभा को प्रदर्शित किया गया है। 26 अप्रैल से शुरू हुई यह प्रदर्शनी 30 अप्रैल तक चलेगी।
क्यूरेटर सोनाली बत्रा ने बताया, “ग्रेट बनयान आर्ट ने 100 कृतियां एक साथ रखी हैं। ये कागज पर बनी कृतियां हैं और हमने 18वीं सदी से लेकर समकालीन समय तक भारतीय कला के विकास को दिखाने की कोशिश की है। इसकी शुरुआत 18वीं सदी के विज़िटिंग आर्टिस्ट से होती है – विदेशी कलाकार जो भारत आए थे, जैसे थॉमस और विलियम डैनियल। हमारे पास उनकी एक्वाटिंट्स हैं।”
“हमने वास्तव में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट में आगे बढ़ते हुए विकास को प्रदर्शित किया है। फिर स्वतंत्रता के बाद, हमारे पास स्वदेशी आधुनिकता और भारत में आधुनिकता का उदय है। अंत में हम समकालीन कला के साथ समाप्त करते हैं, जो आज की कला है। इन सभी कार्यों में जो एकरूपता है वह है कागज़ का माध्यम और कैसे कागज में यादों को संजोकर रखने की क्षमता है। ये इतना नाजुक माध्यम है, फिर भी इसने तीन शताब्दियों से कहानियों और स्थायी दृश्य छापों, सांस्कृतिक यादों को आगे बढ़ाया है।”