Delhi: दिल्ली में चल रही एक खास प्रदर्शनी में भारत के 150 साल के सुनहरे इतिहास की झलक तस्वीरों के जरिए दिख रही है, इनमें कनु गांधी द्वारा महात्मा गांधी की खींची दुलर्भ तस्वीरें, रघु राय द्वारा ली गई पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाजार में यातायात की 1965 की मशहूर तस्वीर और मदन महत्ता की इंडस्ट्रियल और आर्किट्रेक्चरल फोटोग्राफी शामिल है जो उपनिवेश के बाद के भारत में आधुनिकता के उदय को दिखाती है।
तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज द्वारा आयोजित ये प्रदर्शनी “भारत पुनर्खोज के माध्यम से आत्म खोज” सीरीज का तीसरा भाग है, इसमें 1850 के दशक से भारत में फोटोग्राफी के इतिहास की 300 से ज्यादा तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं, इनमें मूल और दुर्लभ पुरातात्त्विक और समकालीन प्रिंट शामिल हैं।
मशहूर पुरालेखपाल और टी.आर.आई.एस. के संस्थापक नेविल तुली ने बताया कि “यह (फोटोग्राफी) शिक्षा प्रणालियों के लिए एक जरूरी उपकरण है, और विशेष रूप से आज, जब विजुअल को हमारे शिक्षण और शैक्षिक ढांचे के हिस्से के रूप में विशेषाधिकार हासिल नहीं है, ये जरूरी है कि दुनिया भर के संस्थान, विशेष रूप से भारत में, इसकी अपार क्षमता और ताकत को पहचानें। चाहे वो फोटोग्राफी हो, चाहे वो सिनेमा हो, चाहे वो ललित कला हो, चाहे वो वास्तुकला की विरासत हो, या लोकप्रिय कलाएं और शिल्प हों, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और कला के सभी प्रकार के विषयों को पिछले 150 सालों और स्वाभाविक रूप से पिछले 6,000 सालों के उद्देश्य, आनंद और पुनर्मूल्यांकन की नई भावना लाने के लिए कैसे साथ लाया जा सकता है। क्योंकि ये 6,000 साल अब भी पिछले 150 सालों में जिंदा हैं।”
प्रदर्शनी में अभिनेताओं, फिल्म निर्माताओं और फिल्म शूटिंग की दुर्लभ फोटोग्राफ भी प्रदर्शित की गईं। इनमें 1971 की क्लासिक फिल्म “आनंद” से अभिनेता अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के शॉट भी शामिल हैं। फोटोग्राफर नेमाई घोष द्वारा दिग्गज फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की तस्वीरों की एक पूरी सीरीज भी इस प्रदर्शनी का एक और मुख्य आकर्षण है।
प्रदर्शनी में दिल्ली के कलाकार प्रतीक अरोड़ा की पारंपरिक भारतीय चित्रकला और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने साई-फाई यूनिवर्स के फ्यूजन को भी पेश किया गया है, प्रदर्शनी देखने पहुंचे लोग इसे अनूठा शो बता रहे हैं।
विजिटर ऋषि भार्गव ने कहा कि “यह अनूठा है, मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी कोई चीज भी होगी। तुली भी प्रेरणादायी हैं। उन्होंने हमारे साथ समय बिताया और बताया कि उनका विजन क्या है और वे क्या कर रहे हैं, वे भारतीय कहानी में सामंजस्य ला रहे हैं, भारत की शुरुआत को दिशा दे रहे हैं। इसलिए, ये एक बहुत ही अनोखी प्रदर्शनी है। मैं पूरी तरह प्रभावित हूं।”