Delhi: भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर दिसंबर में 12 महीने के निचले स्तर पर

Delhi: भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर दिसंबर में 12 महीने के निचले स्तर 56.4 पर आ गई, नए ऑर्डर और उत्पादन की धीमी गति इसकी अहम वजह रही, मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआई) दिसंबर में 56.4 रहा जो नवंबर में 56.5 था। ये परिचालन स्थितियों में कमजोर सुधार का संकेत देता है।

गिरावट के बावजूद इसका 54.1 के अपने दीर्घकालिक औसत से ऊपर रहना मजबूत वृद्धि दर का संकेत देता है। पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।

एचएसबीसी की अर्थशास्त्री इनेस लैम ने कहा कि ‘‘ भारत की विनिर्माण गतिविधि ने 2024 में एक मजबूत साल का समापन किया, जबकि औद्योगिक क्षेत्र में मंदी के रुझान के संकेत मिले हालांकि ये मध्यम रहे। नए ऑर्डर में विस्तार की दर इस साल सबसे धीमी रही, जो भविष्य में उत्पादन में कमजोर वृद्धि का संकेत देती है।’’

प्रतिस्पर्धा और मूल्य दबाव की वजह से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि बाधित हुई, लैम ने कहा कि नए निर्यात ऑर्डर की गति में कुछ वृद्धि हुई है, जो जुलाई के बाद सबसे तेज गति से बढ़ी है। कीमतों के मोर्चे पर, नवंबर से कंटेनर, सामग्री और श्रम लागत में कथित रूप से वृद्धि के साथ, भारतीय विनिर्माताओं ने समग्र व्यय में और वृद्धि दर्ज की।

हालांकि मासिक आधार पर कच्चे माल की मूल्य मुद्रास्फीति की दर ऐतिहासिक मानकों के अनुसार मध्यम रही। एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है। भारतीय विनिर्माता 2025 में वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं।

सर्वेक्षण में कहा गया कि ‘‘निवेश और अनुकूल मांग सकारात्मकता को दिखाती है। फिर भी मुद्रास्फीति और प्रतिस्पर्धी दबावों को लेकर चिंताओं ने धारणाओं को प्रभावित किया है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *