Delhi: एशिया के सबसे बड़े रावण पुतला बाजार के कारीगर मंदी से परेशान

Delhi: दिल्ली का छोटा सा इलाका तातारपुर, जो रावण के पुतलों के लिए मशहूर है और इसे एशिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है, यहां कारीगर रंग बिरंगे और छोटे-बड़े सभी तरह के रावण के पुतले बनाते हैं। हालांकि इस साल दशहरे से पहले, कारीगरों को बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह वे कच्चे माल की बढ़ती लागत और प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को मानते हैं।

कारीगरों का कहना है कि पटाखों के बिना इन पुतलों को खरीदने वाले ग्राहकों में कमी आई है। ऐसे में उन्हें भी काफी घाटा हो रहा है। दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि दिल्ली सरकार ने सर्दियों के महीनों के दौरान प्रदूषण से निपटने को लेकर एक जनवरी, 2025 तक पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।

विक्रेताओ कहना है कि “कनाड़ा जाते थे, यूएसए भी गए हैं हमारे, अब वहां से कोई ऑर्डर नहीं आ रहा, रीजन यहां बम-पटाखे वगैरह लगा नहीं सकते उनमें, इसलिए सब मना कर देते हैं कि यार बम-पटाखे लगा नहीं सकते तो हम किसलिए रावण जलाएंगे ये बताओ। खाली जलाने से तो कुछ होगा नहीं, पटाखों की आवाज आएगी तो थोड़ा सा आदमी रोमांच होता है उस चीज में।”

व्यापारियों का कहना है कि “जो बांस हमारा असम से आता और इस बांस के सिवा रावण बन नहीं सकता। जो ये हम कागज लगाते हैं, पार्टी अगर दूसरा कागज लगाए सस्ता तो पार्टी लेती नहीं। तार महंगा हो गया, कागज महंगे हो गए, लेबर महंगी हो गई। लेबर आती है बिहार से, यूपी से और हमारा जो पुतला जाता था कनाडा जाता था, ऑस्ट्रेलिया जाते थे, अमेरिका जाते थे, तो वो अब जाने बंद हो गए हैं, तकरीबन आठ-10 साल से।”

कारीगरों का कहना है कि “इस बार महंगाई की वजह से सर, मतलब हमारा कारोबार आधा हो चुका है अब। आधा कारोबार है इस टाइम पहले के मुकाबले। महंगाई बांस हो गया, पेपर हो गया और हमारी जो ये लेबर हो गई, लेबर बाहर से आती थी सारी, यूपी से आती थी, बिहार से आती थी, कानपुर से आती थी। तो सारी लेबर भी मिनिमम आ रही है इस टाइम, क्योंकि इतनी इनकम हम दे नहीं पा रहे हैं उनको। पहले जो इनकम हजारों रुपये लेकर जा रहे थे यहां से, अब वो इतनी इनकम दे नहीं पा रहे तो वो आ नहीं रहे वहां से। तो हमें खुद ही करना पड़ रहा है ज्यादातर काम और यहां से लेबर ले रहे हैं तो वो भी महंगी पड़ रही है हमें।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *