Delhi: शिवराज सिंह चौहान ने “दिल्ली हाट” में आयोजित मेले में स्टॉल में प्रोडक्ट लगाने वाले 55 एफपीओ से मिले, जिसके बाद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की समीक्षा करेगी। इन संस्थाओं को तीन साल के लिए दिए गए समर्थन की समय सीमा खत्म हो रही है। इसी को देखते हुए ये फैसला किया गया है।
एफपीओ योजना 2020 में शुरू की गई थी, इसका लक्ष्य 6,865 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ 2024 तक 10,000 नए एफपीओ बनाने और उन्हें बढ़ावा देने का है। सरकार ने कार्यक्रम के तहत तीन साल के लिए हर एफपीओ 18 लाख रुपये की वित्तीय मदद दी, साथ ही इतना ही इक्विटी और क्रेडिट गारंटी सुविधा भी दी।
हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एफपीओ के लिए परिणाम अलग-अलग रहे हैं। कुछ एफपीओ ने सफलता हासिल की है जबकि कुछ को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “तीन साल में कुछ एफपीओ अपने पैर पर खड़े हो गए, जबकि कुछ संघर्ष कर रहे हैं। हम उनकी प्रगति को समझने और उन कमियों की पहचान के लिए सभी एफपीओ की समीक्षा करेंगे और ये पता लगाएंगे कि क्या उन्हें अलग से मदद की जरूरत है।”
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “एफपीओ जो उत्पाद बना रहे हैं, खुद ही संगठन बनाते हैं और वो ही पैदा करते हैं और कोशिश करके सीधे उपभोक्ताओं, ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। जब ये अलग-अलग करते हैं, मार्जिनल और … किसानों को दिक्कत होती है। पूंजी का भी आभाव होता है। अकेले सारे काम नहीं कर पाते हैं और इसीलिए किसानों का संगठन उत्पादन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और बेचने का सब काम करता है। 10 हजार एफपीओ बनाने का टारगेट रखा था और उसमें से आठ हजार 800 के करीब बन चुके हैं और प्रधानमंत्री मोदी जी की पहल पर कि उपभोक्ताओं को भी सस्ता मिल जाए और किसान पैदा भी करे, प्रोेसेस भी करें और उनको भी ठीक दाम मिल जाए और शुद्ध लाभ उन तक भी पहुंचे और अगर जरूरत पड़ती है अगर किसी आदान की, बीज की, खाद की और किसी जरूरत की,तो अकेले-अकेले न भागना पड़े किसान को। सामुहिक रूप से एफपीओ ही इस व्यवस्था को कर दे। मुझे आज 55 एफपीओ के लोग आए हैं। मैं आपके साथ लगभग हर स्टॉल पर गया हूं। मुझे खुशी है कि एफपीओ का आंदोलन अब गति पकड़ रहा है।”