Delhi: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए न केवल डिफेंस सेक्टर में, बल्कि देश के विकास में योगदान देने के लिए अपनी जिम्मेदारी के प्रति सक्रिय रहना आवश्यक है, मनोज पांडे ने यह बयान दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में दिया।
उन्होंने कहा कि “साल 1965 के युद्ध के बाद लिखी गई किताब- ‘द शील्ड एंड द स्वोर्ड’ में जनरल भगत ने भारत के खिलाफ सराहनीय चीनी रणनीति पर स्पष्ट नजर डाली थी। उन्होंने एक पेपर भी लिखा था, ‘द चाइनीज माइंड: वॉट वील चाइना डू नेक्स्ट? सात दशक पहले हमारे उत्तरी प्रतिद्वंद्वी के बारे में उनका पूर्वानुमान आज सही साबित हुआ है।”
बता दे कि लेफ्टिनेंट जनरल भगत सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान विक्टोरिया क्रॉस जीतने वाले पहले भारतीय अधिकारी थे, भगत का जन्म अक्टूबर 1918 में हुआ था और 1941 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने उन्हें विक्टोरिया क्रॉस दिया था, अंग्रेजों की तरफ से दिए जाने वाला विक्टोरिया क्रॉस, वीरता के लिए सर्वोच्च सम्मान है।
पांडे ने कहा कि “हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों का जनादेश और भूमिका सर्वोपरि है कि देश की सुरक्षा किसी भी तरह से प्रभावित न हो ताकि इसकी प्रगति जारी रहे। भारत की विकास गाथा में योगदान देने के लिए सशस्त्र बलों से उम्मीदें भविष्य में केवल बढ़ेंगी। इसलिए हमारे लिए न केवल डिफेंस सेक्टर में बल्कि राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए भी अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत रहना आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि “भारतीय सेना का परिवर्तन जिसे हमने दो साल पहले लागू किया था, एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूल, प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भर भविष्य के लिए तैयार बल को आकार देने के हमारी कोशिशों का हिस्सा है। हम न केवल बदलाव और चल रही परिवर्तन पहलों को सख्ती से आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं, बल्कि अच्छी गति से भी बदलाव करना चाहते हैं, ताकि हम तैयार रहें।”
कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) के. टी. परनायक, कुछ पूर्व सेना प्रमुख, वरिष्ठ सेना अधिकारी और लेफ्टिनेंट जनरल भगत की बेटी अशाली वर्मा भी शामिल थीं।
जनरल मनोज पांडे, सेना प्रमुख “1965 के युद्ध के बाद लिखी गई किताब – ‘द शील्ड एंड द स्वोर्ड’ में जनरल भगत ने भारत के खिलाफ सराहनीय चीनी रणनीति पर स्पष्ट नजर डाली थी। उन्होंने एक पेपर भी लिखा था, ‘द चाइनीज माइंड: वॉट वील चाइना डू नेक्स्ट? सात दशक पहले हमारे उत्तरी प्रतिद्वंद्वी के बारे में उनका पूर्वानुमान आज सही साबित हुआ है।”
“हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों का जनादेश और भूमिका सर्वोपरि है कि देश की सुरक्षा किसी भी तरह से प्रभावित न हो ताकि इसकी प्रगति जारी रहे। भारत की विकास गाथा में योगदान देने के लिए सशस्त्र बलों से उम्मीदें भविष्य में केवल बढ़ेंगी। इसलिए हमारे लिए न केवल डिफेंस सेक्टर में बल्कि राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए भी अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत रहना आवश्यक है।”