Cloud Seeding: दिल्ली में क्यों नहीं हुई कृत्रिम बारिश? IIT कानपुर के निदेशक ने दिया जवाब

Cloud Seeding: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर के निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि भले ही दिल्ली में कृत्रिम बारिश के परीक्षण से बारिश नहीं हुई, लेकिन इससे उपयोगी जानकारी मिली है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शहर में प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर खर्च की गई धनराशि की तुलना में इस प्रक्रिया की लागत ज्यादा नहीं है।

दिल्ली सरकार ने मंगलवार को आईआईटी-कानपुर के सहयोग से बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार में कृत्रिम बारिश के लिए दो परीक्षण किए, लेकिन बारिश नहीं हुई। परीक्षणों के बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा में नाममात्र की बारिश हुई। अग्रवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘यह परीक्षण 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया गया। मेरे अनुमान के अनुसार, इसकी कुल लागत लगभग 60 लाख रुपये आई। यह मोटे तौर पर प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग 20,000 रुपये होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में यह परीक्षण करते हैं, तो इसकी लागत लगभग 2 करोड़ रुपये होगी।’’ अग्रवाल ने पूरे परीक्षण की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि यदि यह परीक्षण पूरे शीतकाल में किया जाए और यह मान लिया जाए कि 10 दिन में एक बार बादल छाए रहेंगे, तो इसकी लागत लगभग 25 से 30 करोड़ रुपये आएगी।

आईआईटी-कानपुर के निदेशक ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है। दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण पर खर्च की जाने वाली धनराशि काफी बड़ी है।’’ उन्होंने कहा कि बादलों में पर्याप्त नमी न होने से वर्षा होने की संभावना कम हो जाती है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘यह (नमी की मात्रा) केवल 15 प्रतिशत के आसपास थी। इतनी कम नमी के साथ, बारिश होने की संभावना बहुत कम है। उस दृष्टिकोण से हमें सफलता नहीं मिली, लेकिन हमें बहुत उपयोगी जानकारी मिली।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने वायु प्रदूषण और नमी के स्तर को मापने के लिए विभिन्न स्थानों पर 15 केंद्र स्थापित किए हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 की सांद्रता में कुछ कमी आई है। नमी के निम्न स्तर के बावजूद, कृत्रिम बारिश के लिए रसायनों के छिड़काव का कुछ प्रभाव पड़ता है, हालांकि यह उतना नहीं होता जितना कोई आदर्श रूप से देखना चाहेगा।’’

अग्रवाल ने बताया कि परीक्षण के तहत साधारण नमक, सेंधा नमक और सिल्वर आयोडाइड के बारीक पिसे मिश्रण को वर्षा कराने के लिए बादलों में छिड़का गया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सूक्ष्म कण के चारों ओर भाप तरल रूप में संघनित होने लगती है और संघनन के बाद पानी की बूंदें बनने लगती हैं। जब बूंदें पर्याप्त संख्या में हो जाती हैं, तो बारिश होती है। अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में बुधवार को प्रस्तावित कृत्रिम बारिश का परीक्षण बादलों में अपर्याप्त नमी के कारण रोक दिया गया।

 

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