Cloud Seeding: दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण और जल संकट से निपटने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। पर्यावरण, वन और वन्य जीवन मंत्री, मनजिंदर सिंह सिरसा ने घोषणा की कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Cloud Seeding) के ट्रायल के आधार पर बारिश कराई जाएगी। यह ट्रायल दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में किया जाएगा और इसका उद्देश्य प्रदूषण नियंत्रण के साथ जल संकट से निपटना है। मंत्री सिरसा ने कहा, “हम चाहते हैं कि इस तकनीक को प्रदूषण के अधिकतम प्रभाव वाले दिनों में इस्तेमाल किया जा सके। इसका पहला उद्देश्य प्रदूषण की स्थितियों में बारिश करवाकर स्थिति को नियंत्रित करना है। हम इस ट्रायल के परिणामों के आधार पर आगे की योजना तैयार करेंगे।”
क्लाउड-सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें बादलों में विशेष रसायनों को छोड़ा जाता है, जिससे बारिश होती है। हालांकि, इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक शर्तें हैं। मंत्री ने कहा, “इसमें न्यूनतम बादल क्षेत्र और पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है, और हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।” इस ट्रायल में IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है। IIT कानपुर ने 2023 में अपने कैंपस में क्लाउड-सीडिंग का सफल परीक्षण किया था। अब यह संस्थान दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में पांच स्थानों का चयन करेगा, जहां इस प्रक्रिया का परीक्षण किया जाएगा।
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि लुटियंस दिल्ली और एयरपोर्ट के पास सुरक्षा और हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों के कारण इस ट्रायल का आयोजन नहीं होगा। पहला ट्रायल मई के अंत या जून तक होने की उम्मीद है और यह बाहरी दिल्ली के 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया जाएगा। इसके बाद, वैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर ट्रायल के प्रभाव को समझा जाएगा। इस परियोजना के लिए दिल्ली सरकार ने 3.21 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, और इस पर 13 प्रमुख विभागों, जिसमें DGCA, रक्षा मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया शामिल हैं, से एनओसी प्राप्त की जा रही है। सिरसा ने कहा कि यदि यह ट्रायल सफल रहता है, तो दिल्ली सरकार इसे आगे बढ़ाने और अधिकतम क्षेत्रों में लागू करने का प्रयास करेगी।