Navratri: हिंदू पंचांग के अनुसार 5 अक्टूबर 2024 यानी आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है, यह दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा का दिन है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप बड़ा अद्भुत और विलक्षण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इनकी सवारी सिंह है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्ध चन्द्र है, इसलिए इन्हें ’चंद्रघंटा’ के नाम से जाना जाता है।
इस दिन साधना करने वाले का मन मणिपुर चक्र में स्थित होने के कारण उसे विलक्षण प्रतीति होती है। वातावरण सुगंधमय हो जाता है और विशेष ध्वनियां सुनाई पड़ती हैं।
इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है, इस दिन मां को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए, मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन-अर्चन से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है, इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय माँ को दूध या दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है। माँ को भोग लगाने के बाद दूध का दान भी किया जा सकता है और ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दान में दें। माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का मंत्र-
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ ऐं श्रीं शक्तयै नम:”