Maha Shivratri: महाशिवरात्रि की कहानी भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव की पहली पत्नी सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने अपने आप को तपस्या में समर्पित कर दिया था। इस दौरान, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई वर्षों तक तपस्या की।
अंततः, भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे विवाह करने का निर्णय लिया। यह विवाह फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था, जिसे आज महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में भक्तों ने भगवान शिव की पूजा और आराधना की। तभी से, महाशिवरात्रि का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की याद में मनाया जाता है।
इस दिन, भक्त भगवान शिव की पूजा और आराधना करते हैं, और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत और तपस्या करते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान, मानसिक शांति, और सुख प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि का व्रत विशेष फलों को प्रदान करने वाला होता है। मान्यता है की, इस व्रत को रखने से पुरुषों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, सुहागन स्त्रियों का सुहाग बना रहता है और कुंवारी लड़कियों को मन चाहा वर मिलता है।
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