कहते हैं ना किसी भी महिला का श्रृंगार बिंदी बिना अधूरा है, वक्त बदला है और वक्त के साथ बहुत सारी चीजें भी लेकिन बिंदी की पोजिशन वो ही है जो पहले थी, हां यह और ग्लैमरस हो गई है। हिंदू धर्म में तो बिंदी लगाना केवल एक श्रृंगार ही नहीं है बल्कि यह एक सुहागिनों की परंपरा और संस्कार है। लेकिन आज हम आपको यह बताते हैं कि बिंदी लगाना केवल एक श्रृंगार और परंपरा ही नहीं है बल्कि यह सुरक्षा कवच भी है। वैज्ञानिकों के मतानुसार बिंदी से महिलाओं को सेहतलाभ होता है।
एकाग्रता बढ़ाती है बिंदी
शादी से पहले महिलाएं सौंदर्य के लिए बिंदी लगाती हैं, लेकिन शादी के बाद ये उनके लिए जरूरी माना गया है। भौंहों के बीच में बिंदी लगाई जाती है। इसी स्थान पर आज्ञा चक्र होता है। आज्ञा चक्र हमारे मन को एकाग्र करने में मददगार होता है। चूंकि महिलाएं एक समय में कई बातों पर सोचती हैं, इसके कारण उनका मन स्थिर नहीं रहता, साथ ही तनाव भी बढ़ता है। बिंदी लगाने से महिलाओं का दिमाग शांत होता है। तनाव कम होता है और मन नियंत्रित होता है। बिन्दी लगाने से चेहरे की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और इससे झुर्रियां कम होती हैं।
अपने लक्ष्य से भटकती नहीं
बिंदी माथे के बीच में लगायी जाती है, जहां पर आज्ञा चक्र होता है जो कि इंसान की ध्यानशक्ति बढ़ाता है। इसलिए योग में कहा जाता है कि इस बिंदु पर प्रेशर डालो, महिलाएं तो उसी जगह बिंदी लगाती है जिसके कारण महिलाओं का ध्यान केन्द्रित रहता है और वो अपने लक्ष्य से भटकती नहीं है, वो सेहत मंद रहती हैं।
रक्त तंत्र को संतुलित
कहा जाता है कि दो भौओं के मध्य में जहां बिंदी लगायी जाती है, वो महिलाओं के रक्त तंत्र को संतुलित करता है, जिससे महिलाओं को सिर दर्द कम होता है।
लाल रंग का महत्व
क्या आपने कभी यह सोचा है कि शादीशुदा महिलाएं लाल रंग की ही बिंदी क्यों लगाती हैं? बाजार में तरह-तरह की रंग-बिरंगी बिंदिया मौजूद हैं, फिर भी लाल ही क्यों? इसका जवाब यह है कि लाल रंग को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जैसे ही दुल्हन नए घर में प्रवेश करती है, वह अपने साथ समृद्धि लेकर आती है। हिंदू धर्म में लाल रंग को उगते सूरज से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए लाल रंग का महत्व अधिक है।