Haryana: हरियाणा में कुरुक्षेत्र का शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर अनोखा है और ये अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। इस मंदिर की मान्यता इतनी है कि दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर में आपको हर तरफ मिट्टी के घोड़े नजर आएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां प्रसाद के तौर पर सोने, चांदी और मिट्टी के बने घोड़े चढ़ाए जाते हैं। ये मान्यता सदियों पुरानी है।
मां भद्रकाली मंदिर के पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा का कहना है कि “मां के मदिंर में जैसे युद्ध के घोड़े दान किए थे जीवित उसी परंपरा को निभाते हुए लोग मनोकामना करते है और जिसकी जैसी क्षमता श्रद्धानुसार मिट्टी के चांदी के किसी भी प्रकार के सोने के लकड़ी के अनेक प्रकार के घोड़े प्ररितात्मक रूप से मां के सेवा में अपर्ण करते है।
पुराणों के मुताबिक महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों ने मां भद्रकाली मंदिर में बैठकर पूजा-अर्चना की थी और मन्नत पूरी होने पर अपने घोड़े अर्पित करने की बात कही थी। युद्ध में जीत के बाद पांडवों ने अपने घोड़ों की सबसे सुंदर जोड़ी को मां भद्रकाली के चरणों में अर्पित किया था, मंदिर से जुड़े लोगों के मुताबिक यहां बने कुंड पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार भी हुआ था।
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श्रद्धालुओं का कहना है कि “शक्ति पीठ पर जो भी मनोकामना लेकर आप आए और वो मनोकामना पूरी हो जाती तो यहां प्रसाद के अलावा घोड़े चढ़ाने की एक पंरपरा है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने जब महाभारत का यु्द्ध समाप्त हुआ तो पांडवों के साथ मिलकर अपने घोड़े दान किए थे और उसी समय से प्रथा चली है। इस मंदिर में मन्नत पूरी होने पर किसी समय पर असली घोड़े चढ़ते थे फिर समय के अनुसार समय बदलता गया अब सामर्थ्य के अनुसार कोई सोने के, कोई चांदी के और आम समाज के लोग सामर्थ्य के अनुसार मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।”
मान्यता है कि इस मंदिर में माता सती के दाएं पैर का टखना गिरा था। नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, वक्त के साथ-साथ मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की भावना तो नहीं बदली, लेकिन अंदाज जरूर बदल गया। देश के पूर्व राष्ट्रपति से लेकर तमाम राजनेता मंदिर में घोड़े चढ़ाने के लिए पहुंचते रहते हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं।