नहाय खाय के साथ छठ की शुरुआत, जानें इस दिन का धार्मिक महत्व

महापर्व छठ की आज से शुरुआत हो गई है. लोक आस्था के इस पर्व में आज नहाय खाय के साथ चार दिनों का महापर्व छठ शुरू हो गया है. नहाय खाय के दिन पूरी शुद्धता के साथ छठ व्रती स्नान कर नहाय खाय का प्रसाद बनाएंगी इस मौके पर गंगा घाटों एवं तालाबों पर व्रतियों की काफी भीड़ देखने के लिए मिल रही है. पटना में गंगा और बिहार की दूसरी नंदियों के किनारे SDRF और पुलिस की टीम तैनात हैं. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी महापर्व छठ की शुभकामनाएं दी है. सीएम नीतीश कुमार ने सूर्यदेव से राज्य की प्रगति, सुख, समृद्धि और शांति की कामना की है. सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा है- लोक आस्था के 4 दिवसीय महापर्व छठ के अवसर पर शुभकामनाएं. यह आत्मानुशासन का पर्व है. लोग शुद्ध अन्तःकरण एवं निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. भगवान भास्कर से राज्य की प्रगति, सुख, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना है. छठ पर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. इसमें व्रती महिलाएं लगातार 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्ध्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देते हुए समापन होता है.

जानिए छठ पूजा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं. यह एकमात्र त्योहार है जहां एकसाथ भाई बहन की भी पूजा होती है. मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि रचना के लिए स्वयं को दो भागों में विभाजित किया था. तब दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया. इसके बाद सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आपको छह भागों में विभाजित किया. प्रकृति देवी के छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा हिस्सा होने की वजह से इन्हें छठी मैया के नाम से जाना जाता है. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है.इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य,सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. वहीं नवरात्रि पर भी षष्ठी तिथि को इनकी पूजा की जाती है.

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