Nithari case: ‘तो फिर हमारे बच्चों को किसने मारा’, सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के बाद निठारी पीड़ित परिवारों के सवाल

Nithari case:  साल 2006 के नोएडा स्थित निठारी सीरियल हत्याकांड के पीड़ितों के परिवारों में शोक और अविश्वास का माहौल है। उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले के एकमात्र दोषी सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने और किसी अन्य मामले में ज़रूरत न होने पर उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद यह घटना घटी।

नोएडा के सेक्टर 31 स्थित अपने घर पर 10 वर्षीय पीड़िता के 67 वर्षीय दुखी पिता ने पीटीआई वीडियो को बताया, “अब तक सुरेंद्र कोली आरोपी था, लेकिन अदालत ने उसे भी बरी कर दिया है। तो फिर यह किसने किया? या तो मीडिया हड्डियां मिलने के बारे में झूठ बोल रहा था। दुनिया भर के लोगों ने इसे देखा। क्या यह सब झूठ था? अगर उसने नहीं किया तो यह किसने किया?”

लगभग 19 वर्ष पहले निठारी गांव में पंढेर के घर से उसकी बेटी के कपड़े और चप्पलें बरामद होने के बाद डीएनए परीक्षण के माध्यम से उसकी बेटी के अवशेषों की पहचान की गई थी।

यह घटना 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद सामने आई थी। उस समय कोली पंढेर के घर में घरेलू सहायक था।

पीड़ित परिजनों ने कहा कि ‘अगर वे अपराधी नहीं थे तो हमारी बेटी को किसने मारा? उन्हें इतने सालों तक जेल में क्यों रखा गया? अदालत कहती है कि वह निर्दोष है। फिर आरोपी कौन है?” उन्होंने कहा कि उनका परिवार उस सदमे से कभी उबर नहीं पाया।

एक अन्य अभिभावक ने कहा,” जब मामला प्रकाश में आया, तो सुरेंद्र कोली ने स्वीकार किया कि उसने कई बच्चों को मारकर दफना दिया है। पुलिस ने हमें धोखा दिया है। उन्होंने हमें न्याय दिलाने का वादा किया था, लेकिन हमें न्याय नहीं मिला।उन्होंने डीएनए टेस्ट करवाया, किसका टेस्ट करवाया? तब तो सब कुछ मिल गया था, लेकिन अब सब आजाद हैं। अमीर लोग तो कुछ भी करके बच निकलते हैं, लेकिन हम जैसे ग़रीबों को तो न्याय नहीं मिलता।”

स्थानीय लोगों ने कहा कि हत्याओं के सालों बाद भी, मोहल्ले में डर का माहौल बना हुआ है। निठारी का कुख्यात डी-5 बंगला, जो कभी भयावह खोजों का केंद्र हुआ करता था, अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, झाड़ियों और जंगली झाड़ियों से ढका हुआ है।

कोली पिछले दो सालों से गाजियाबाद जेल से स्थानांतरित होने के बाद गौतम बुद्ध नगर की लुक्सर जेल में बंद है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने निठारी मामले में कोली को बरी करते हुए कहा कि ” आपराधिक कानून अनुमान या पूर्वधारणा के आधार पर दोषसिद्धि की अनुमति नहीं देता है।” पुनर्विचार याचिका सहित अन्य सभी विकल्पों का उपयोग करने के बाद किसी पक्ष के लिए उपलब्ध अंतिम कानूनी सहारा सुधारात्मक याचिका होती है।

प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि निठारी में हुए अपराध जघन्य थे और परिवारों की पीड़ा अथाह थी। पीठ ने कहा, ‘‘यह अत्यंत खेद की बात है कि लंबे समय तक की गई जांच के बावजूद, वास्तविक अपराधी की पहचान इस तरह से स्थापित नहीं हो सकी है, जो कानूनी मानकों को पूरा करे।’’

न्यायालय ने कहा कि संदेह, चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, उचित संदेह से परे सबूत का स्थान नहीं ले सकता, तथा न्यायालय वैधता के स्थान पर आसान समाधान को प्राथमिकता नहीं दे सकते। कोली को बरी करने का आदेश भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने दिया, जिन्होंने कोली की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की थी। कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और फरवरी 2011 में उच्चतम न्यायालय ने उसकी सजा को बरकरार रखा था।

उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गयी थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2023 में कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया था और 2017 में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को पलट दिया था, अदालत ने कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और पीड़ित परिवारों ने बरी किए जाने के इन फैसलों को बाद में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।

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