Mumbai: महाराष्ट्र के मुंबई में साल 2008 में हुए क्रूर आतंकी हमलों के सोलह साल बाद शहर पर उस आतंकी वारदात के निशान भले ही अब हल्के हो गए हों, लेकिन उस हमले में बच गए लोगों के लिए वो यादें आज भी उतनी ही भयावह हैं।
उस आतंकी हमले में बची देविका रोटावन उस काली रात की दहशत को झेलने वाली सबसे कम उम्र की महिलाओं में से एक हैं। उस समय उनकी उम्र महज नौ साल थी। भीड़-भाड़ वाले छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हुई गोलीबारी में वो आतंकियों की गोली से घायल हो गई थीं, उनके पैर में गोली लगी थी।उस एक हादसे ने उनकी जिंदगी को बदल दिया।
देविका बाद में इस हमले के केस में प्रमुख गवाह बनी और उन्होंने हमला करने वाले आतंकियों में से अजमल कसाब की पहचान की थी, हालांकि उनका मानना है कि उस आतंकी हमले का इंसाफ तब होगा, जब उसे अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड को उसका जवाबदेह ठहराया जाएगा।
साल 2008 में हुए उस भयावह आतंकी हमले में आतंकियों ने 26 से 29 नवंबर तक पूरे मुंबई को दहशत में डाले रखा था। ये हमला देश पर हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था, जिसमें 150 से ज़्यादा लोगों की जान गई। मरने वालों में आम नागरिक, सुरक्षाकर्मी और विदेशी नागरिक शामिल थे।
10 आतंकियों में से एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब को साल 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी। आतंकी हमले की गवाह देविका रोटावन ने कहा कि “सत्रह साल बीत गए हैं, लेकिन हमारे लिए वो रात वैसी की वैसी ही है। मुझे अब भी ऐसा नहीं लगता कि 17 साल हो गए इस बात को, हर पल-हर एक सेकेंड मैं वो जीती हूं, मेरे पैर में आज भी वो निशान है। वो दर्द उसी तरीके से है।”
“फिल्म में देखा था कि हीरो को गोली लगती है तो वो अगले दिन ठीक हो जाता है, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसा कुछ नहीं था। गोली लगने के बाद तो मैं बेहोश हो गई थी, वहां से मुझे सेंट जॉर्ज अस्पताल ले गए। सेंट जॉर्ज में मैंने देखा काफी पेशेंट थे। डॉक्टर किसी को बेहोश कर पा रहे थे, कुछ को नहीं कर पा रहे थे। वहां मेरा ऑपरेश हुआ। वहां से मुझे जेजे शिफ्ट किया।
जेजे अस्पताल में मैं करीब डेढ़ महीना एडमिट रही, वहां मेरे पैर का छह ऑपरेशन किया गया। मेरे पैर से गोली निकाली गई। सरकार की कार्रवाई से मैं खुश हूं काफी टाइम गया कसाब को फांसी देने, काफी वक्त लग गया और अभी जो ऑपरेशन सिंदूर किया गया। इस बात से मुझे काफी खुशी है लेकिन अभी भी जो पाकिस्तान में मास्टमाइंड बैठा है, जब वो खत्म होगा तो लगेगा कि पूरा इंसाफ मिला है।”